बॉम्बे हाई कोर्ट: सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की प्रतिदिन सुनवाई, धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार अमेरिकी नागरिक ने दरवाजा खटखटाया, झोपड़ी पुनर्वास देरी पर फटकार

सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की प्रतिदिन सुनवाई, धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार अमेरिकी नागरिक ने दरवाजा खटखटाया, झोपड़ी पुनर्वास देरी पर फटकार
  • राज्य के विभिन्न जिलों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की ट्रायल कोर्ट में प्रतिदिन सुनवाई करने का आदेश
  • अमेरिकी नागरिक ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
  • झोपड़ी धारकों के पुनर्वास में हो रही देरी को लेकर राज्य सरकार लगाई फटकार

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य के विभिन्न जिलों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों की ट्रायल कोर्ट में प्रतिदिन सुनवाई करने का आदेश दिया। अदालत में सोमवार को राज्य सरकार की ओर से उन सांसदों एवं विधायकों की लिस्ट सौंपी गई, जिनके खिलाफ मामलों को वापस लेने की सिफारिश की गई है। अदालत ने सरकारी वकील की सांसदों एवं विधायकों के विषय में दी गई जानकारी पर नाराजगी जताई और उन्हें मामलों की पूरी जानकारी विस्तार से देने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील ने पीठ को विभिन्न जिलों में सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ दर्ज 309 मामलों की लिस्ट सौंपी, जिसमें राज्य सरकार द्वारा कुछ जनप्रतिनिधियों के केस वापस लेने के लिए एससीएमएस समिति के पास भेजे जाने की जानकारी दी। पीठ ने सरकारी वकील से केस वापस लिए जाने की सिफारिश किए जाने वाले सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ दर्ज केस की प्रकृति समेत उसकी पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया। पीठ ने पूछा कि क्या किसी सांसद और विधायक के खिलाफ वारंट जारी किया गया है? क्या उनके खिलाफ मामलों में गवाहों के बयान दर्ज किए गए है? पीठ ने कहा कि जिन सांसदों और विधायकों के खिलाफ आरोप पत्र दायर हो चुके हैं, उनके मामलों की ट्रायल कोर्ट में प्रतिदिन सुनवाई होनी चाहिए। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाल में एक दिशा निर्देश जारी किया है। उस पर पूरी तरह से अमल किया जाना चाहिए। 14 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई रखी गई है।

भिवंडी में अवैध धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार, अमेरिकी नागरिक ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

उधर अमेरिकी नागरिक ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जेम्स वॉटसन द्वारा दायर याचिका में अदालत से अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का अनुरोध किया है। उन पर बिजनेस वीज़ा पर भारत में आकर धार्मिक गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप है। अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है।14 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ के समक्ष जेम्स वॉटसन की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दलील दी कि याचिकाकर्ता 4 अक्टूबर को सुबह भिवंडी के एक प्रार्थना सभा में गए थे। इस दौरान बजरंगदल सहित कुछ संगठनों के कार्यकर्ता वहां आ गए और उन्होंने हंगामा करना शुरू कर दिया। पुलिस आ गई और प्रार्थना सभा का आयोजन करने वाले लोगों को अपने साथ लेकर गई। पुलिस ने उन्हें धर्मांतरण के मामले में गिरफ्तार कर लिया। इस प्रार्थना सभा से याचिका करता का कोई संबंध नहीं था। उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी है। उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि यह बंदी प्रत्यक्षीकरण का मामला नहीं है। पीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका में संशोधन करने का निर्देश दिया। 14 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई होगी। भिवंडी में अवैध धर्मांतरण के मामले में पुलिस ने अमेरिकी नागरिक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इन पर भिवंडी के चिंबिपाड़ा गांव में प्रार्थना सभा के दौरान ग्रामीणों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित करने का आरोप है. गिरफ्तार आरोपियों में 58 वर्षीय जेम्स वॉटसन भी शामिल है, जो अमेरिका का नागरिक है और वह ठाणे में रह रहा था। इसके अलावा पालघर के रहने वाले 42 वर्षीय साईनाथ गणपती सर्पे और 35 साल के चिंबिपाड़ा निवासी मनोज गोविंद कोल्हा नाम शामिल हैं. वॉटसन भारत में बिजनेस वीज़ा पर आया था, लेकिन वह इसका दुरुपयोग धार्मिक गतिविधियों के लिए कर रहा था. तीनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 299 (धार्मिक भावनाएं भड़काने के लिए दुर्भावनापूर्ण कृत्य), धारा 302 (जानबूझकर धार्मिक भावनाएं आहत करना), विदेशी नागरिक अधिनियम (वीज़ा नियमों के उल्लंघन) और महाराष्ट्र के 2013 के एंटी-ब्लैक मैजिक कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है

बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (एसजीएनपी) में रहने वाले पात्र झोपड़ी धारकों के पुनर्वास में हो रही देरी को लेकर राज्य सरकार लगाई फटकार

उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (एसजीएनपी) में रहने वाले पात्र झोपड़ाधारकों के पुनर्वास में हो रही देरी को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि इस न्यायालय को एसजीएनपी में रहने वाले पात्र झोपड़ी धारकों के पुनर्वास करने का आदेश दिए 23 साल हो गए। इसको लेकर सरकार ने अब तक कोई कदम नहीं उठाए। अदालत ने सरकार से तीन दिनों में झोपड़ी धारकों के पुनर्वास का पूरा मसौदा पेश करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ के समक्ष उद्यान के झुग्गी वासियों के संगठन सम्यक जनहित सेवा संस्था की अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान कंजर्वेशन एक्शन ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील जनक द्वारकादास ने दलील दी कि एसजीएनपी की 90 एकड़ जमीन इको सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) के अंतर्गत आती है। पिछले दिनों अदालत ने राज्य सरकार को एसजीएनपी रहने वाले में पात्र झोपड़ावासियों को उद्यान के बाहर आवास देने के लिए प्रॉपर मसौदा तैयार करने का निर्देश दिया था, लेकिन उसको लेकर अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता वीरेंद्र सराफ ने कहा कि सरकार एसजीएनपी के बाहर झुग्गी वासियों का पुनर्वास करेगी। इसको लेकर सरकार मसौदा तैयार कर रही है। इस पर पीठ ने कहा कि इस न्यायालय के आदेश दिए 23 साल हो गए। इसके अलावा अदालत ने इस साल जनवरी में सरकार को पात्र झुग्गी वासियों को उद्यान के बाहर आवास देने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया था। इसको लेकर अभी तक क्या कदम उठाए गए हैं? सरकार को इसको लेकर और समय नहीं दिया जा सकता है। सरकार गुरुवार तक यह बताए कि वह कहां झुग्गी वासियों का पुनर्वास करेगी? यदि सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया, तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करनी पड़ेगी।

Created On :   13 Oct 2025 10:07 PM IST

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