Mumbai News: 4 साल के बच्चे का मौसी को गार्जियनशिप बनाने सिटी सिविल कोर्ट के फैसले पर मुहर

4 साल के बच्चे का मौसी को गार्जियनशिप बनाने सिटी सिविल कोर्ट के फैसले पर मुहर
  • अदालत ने पिता को बच्चे का गार्जियनशिप देने से किया इनकार
  • बच्चे की मां की कैंसर से हुई मौत

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने 4 साल के बच्चे का मौसी को गार्जियनशिप देने पर मुहर लगा दी है और सिटी सिविल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। अदालत ने पिता को बच्चे का गार्जियनशिप देने से इनकार कर दिया। बच्चे की मां की कैंसर से 18 जून 2023 को मौत हो गई थी, तो मौसी ने बचपन का लालन-पालन किया।

न्यायमूर्ति एन.जे.जमादार की एकलपीठ ने सुनिल मधुकर तांबे की याचिका पर कहा कि याचिकाकर्ता का उसके बच्चे के दिमाग में जहर घोलने और उससे अलग करने का मौसी के खिलाफ दावा निराधार प्रतीत होता है। 10 दिसंबर 2024 को सिटी सिविल कोर्ट के बच्चे का गार्जियनशिप मौसी को सौंपने के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई उचित कारण नहीं मिला। पीठ ने पिता की बच्चे को अपने पास रखने और सिटी सिविल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया।

बच्ची की मौसी की ओर से पेश वकील गणेश गुप्ता ने दलील दी कि नूतन काशीनाथ देसाई की बहन सुप्रिया की शादी 2016 में सुनिल तांबे के साथ हुई। उनका चार साल का बच्चा है। जब सुप्रिया सुनिल तांबे कैंसर से जूझ रही थी और उसके बाद 18 जून 2023 को मौत हो गई, तो उसकी मौसी नूतन देसाई ने तीन साल तक उसका लालन-पालन किया। 18 अगस्त 2023 को बच्चे का पिता उसे शापिंग के बहाने मौसी के घर से ले गया और उसे वापस उनके पास नहीं लौटाया, तो मौसी नूतन देसाई ने बच्चे के गार्जियनशिप के लिए सिटी सिविल कोर्ट में अपील किया।

कोर्ट ने उन्हें (मौसी) बच्चे का गार्जियनशिप सौंप दी और पिता को हर महीने के पहले रविवार को दोपहर 3 से शाम 6 बजे के बीच बच्चे से मिलने की अनुमति दी। पिता सुनिल तांबे ने सिटी सिविल कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी।

Created On :   9 March 2025 10:20 PM IST

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