बॉम्बे हाई कोर्ट: पत्नी को प्रति माह 60 हजार भरण-पोषण देने के सिविल न्यायालय के आदेश को रखा बरकरार

पत्नी को प्रति माह 60 हजार भरण-पोषण देने के सिविल न्यायालय के आदेश को रखा बरकरार
  • फैमिली कोर्ट ने पति को प्रति माह 40 हजार पत्नी को गुजारा भत्ता देने का दिया था आदेश
  • पति की सिविल न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने पत्नी को प्रति माह 60 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने के सिविल न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा है। अदालत ने पति की सिविल न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। फैमिली कोर्ट ने पति को प्रति माह 40 हजार रुपए पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था, जिसकी वृद्धि के लिए पत्नी ने सिविल न्यायालय में आवेदन किया था। न्यायमूर्ति माधव जामदार की एकलपीठ ने समीर गिरीश भाटिया की याचिका पर अपने फैसले में माना कि याचिकाकर्ता की पत्नी ने 18 मार्च 2015 को गुजारा भत्ता की वृद्धि आवेदन दाखिल किया था, जबकि सिविल न्यायालय में उस आवेदन का निपटारा 25 सितंबर 2024 को हुआ। आवेदन करने और सिविल न्यायालय का आदेश आने के बीच 9 साल का अंतर है। गुजारा भत्ता से संबंधित प्रावधानों के व्यावहारिक कामकाज में हम पाते हैं कि अंतरिम भरण-पोषण के लिए आवेदनों के निपटान में वर्षों से काफी देरी हो रही है। इसलिए न्याय और निष्पक्षता के हित में यह होगा कि भरण-पोषण आवेदन की तिथि से ही दिया जाए।

पीठ ने कहा कि विभिन्न न्यायालयों के गुजारा भत्ता की तिथि के बारे में भिन्न-भिन्न विचार प्रकट होते हैं। न्यायालय को गुजारा भत्ता देने का न्यायिक विवेकाधिकार धारा 125(2) सीआरपीसी में आवेदन की तिथि से या आदेश की तिथि से दिया जाता है, फिर भी धारा 125 सीआरपीसी सहित सभी मामलों में गुजारा भत्ता आवेदन की तिथि से ही दिया जाना उचित होगा। याचिकाकर्ता द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत सिविल न्यायालय द्वारा पारित 25 सितंबर 2024 के आदेश की वैधता को चुनौती दी गई, जिसमें 18 मार्च 2015 से याचिकाकर्ता पति को 40 हजार रुपए प्रति माह के स्थान पर 60 हजार रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।

Created On :   17 Jun 2025 9:50 PM IST

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