Mumbai News: नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति का नेतृत्व करने वाले दिलीप भोसले को प्रति सत्र 1 लाख करना होगा भुगतान

नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति का नेतृत्व करने वाले दिलीप भोसले को प्रति सत्र 1 लाख करना होगा भुगतान
  • संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के संरक्षण और झोपड़ी धारकों के पुनर्वास का मामला
  • भोसले इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश
  • समिति के अन्य सदस्यों को मिलेंगे 55 हजार

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देश पर संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (एसजीएनपी) के संरक्षण और उसमें रहने वाले झोपड़ी धारकों के पुनर्वास के लिए नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति का नेतृत्व करने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिलीप भोसले को राज्य सरकार को प्रति सत्र 1 लाख रुपए का भुगतान करना होगा। समिति के अन्य सदस्यों को प्रति सत्र 55 हजार रुपए दिया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने अवमानना याचिका पर कहा कि मुंबई और ठाणे के लिए एक मुकुट रत्न एसजीएनपी के संरक्षण हेतु कदम उठाए जाने को सुनिश्चित करने के लिए महाधिवक्ता और वरिष्ठ वकील जनक द्वारकादास समेत अन्य वकीलों के प्रस्ताव पर एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाता है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिलीप भोसले समिति का नेतृत्व करेंगे। उसके सदस्य राज्य के पूर्व मुख्य सचिव नितिन करीर, राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुबोध कुमार जायसवाल और वन संरक्षक और संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (एसएनजीपी) के निदेशक अनीता पाटील होंगी।

समिति को अतिक्रमण रोकने के लिए संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान की सीमाओं के साथ एक चारदीवारी का शीघ्र निर्माण सुनिश्चित करना, न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के अनुपालन हेतु उपाय सुझाना, संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के संरक्षण हेतु किए जाने वाले अन्य आवश्यक उपायों का सुझाव देना, संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से बेदखल किए जा सकने वाले अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास हेतु भूमि की पहचान करना, पुनर्वास आवासों के निर्माण और वित्तपोषण हेतु उपाय सुझाना, उस भूमि की पहचान में सभी संबंधित एजेंसियों से सुझाव प्राप्त करना, पुनर्वास आवासों का निर्माण करना, संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से अतिक्रमण हटाना और हाई कोर्ट के समक्ष लंबित विभिन्न संबंधित अंतरिम आवेदनों शामिल है।

पीठ ने राज्य सरकार को समिति के लिए अपना सहयोग और समर्थन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। सरकार को समिति को कार्यालय स्थान, वाहन, सचिवालय, पुलिस सहायता और अन्य बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया गया है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश को प्रति सत्र पारिश्रमिक के रूप में 1 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा। जबकि अन्य सदस्यों को 55 हजार रुपए मिलेंगे।

पीठ ने सरकार को चेतावनी दी कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति को सहायता प्रदान करने में किसी भी प्रकार की विफलता या उसके किसी भी अनुरोध, आदेश, निर्देशों को अस्वीकार या अवज्ञा करना इस आदेश का उल्लंघन माना जाएगा। इसके लिए व्यक्तियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही सहित उचित कार्यवाही भी की जा सकती है।

याचिकाकर्ताओं ने पीठ को बताया था कि मूल याचिका दायर किए हुए तीस वर्ष बीत चुके हैं और 1997 से न्यायालय द्वारा पार्क के संरक्षण के लिए विभिन्न आदेश पारित किए गए हैं, लेकिन सरकार ने उनका पालन करने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं।

Created On :   23 Oct 2025 8:55 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story