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मंत्रिमंडल की मंजूरी: महाराष्ट्र स्टार्टअप, उद्यमिता और नवाचार नीति घोषित, वाढवण बंदरगाह को समृद्धि महामार्ग से जोड़ने फ्रेट कॉरिडोर

- नागपुर की बुनकर सहकारी सूत मिल के कर्मियों को 50 करोड़ रुपए का अनुदान
- एसटी की जमीनों को 98 साल के लिए लीज पर देने को मंजूरी, पहले 60 साल के लिए किराए पर जमीन देने का था प्रावधान
- कुष्ठरोगियों की संस्थाओं के मानधन में बढ़ोतरी
Mumbai News. राज्य मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र स्टार्टअप, उद्यमिता और नवाचार नीति- 2025 को मंजूरी प्रदान की है। इसके तहत राज्य में अगले पांच सालों में 1.25 लाख उद्यमी तैयार करने का लक्ष्य है। जबकि 50 हजार स्टार्टअप्स को शुरू करने की योजना है। इस नीति को महाराष्ट्र राज्य नवाचार सोसायटी के माध्यम से लागू किया जाएगा। मंत्रालय में प्रदेश के कौशल्य, रोजगार, उद्यमिता और नवाचार मंत्री मंगल प्रभात लोढा ने कहा कि इस नीति का एक प्रमुख घटक "मुख्यमंत्री उद्यमिता और नवाचार महाफंड’ है। इस महाफंड में 500 करोड़ रुपए की निधि का प्रावधान किया जाएगा। इस योजना के तहत 5 लाख इच्छुकों का पंजीकरण किया जाएगा। जिनमें से 1 लाख अभ्यर्थियों का चयन मूल्यांकन परीक्षाओं, प्रतियोगिताओं और हैकाथॉन के माध्यम से किया जाएगा। अंतिम चरण में 25 हजार उद्यमियों को चिन्हित करके तकनीकी, वित्तीय सहयोग और प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन अभ्यर्थियों को वित्तीय संस्थानों की भागीदारी से 5 लाख से 10 लाख रुपए का कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा। वहीं मंत्रिमंडल के फैसले के मुताबिक नई नीति के तहत सरकार के प्रत्येक विभाग को वार्षिक बजट राशि का 0.5 प्रतिशत निधि नवाचार और उद्यमिता के लिए आवंटित करना पड़ेगा। इस नीति के प्रभावी रूप से लागू करने के लिए सर्वसाधारण सभा और नियामक मंडल बनाया जाएगा। सर्वसाधारण सभा के अध्यक्ष मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस होंगे। महाराष्ट्र स्टार्टअप वीक के अंतर्गत चयनित स्टार्टअप्स को सरकारी विभागों के साथ सीधे काम करने का मौका दिया जाएगा। इसके लिए 25 लाख रुपए तक का पायलेट वर्क आर्डर दिया जाएगा। राज्य सरकार की ओर से मुंबई के पास 300 एकड़ में "महाराष्ट्र इनोवेशन सिटी' की स्थापना की जाएगी, जिसमें स्टार्टअप्स, कॉर्पोरेट्स, शैक्षणिक संस्थानों और सरकार के लिए वैश्विक मानकों वाले अनुसंधान और नवाचार केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
वाढवण बंदरगाह को समृद्धि महामार्ग से जोड़ने फ्रेट कॉरिडोर को मंजूरी
पालघर के वाढवण बंदरगाह (तवा) को हिंदु हृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग को जोड़ने के लिए फ्रेट कॉरिडोर (माल ढुलाई गलियारा) बनाया जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल ने वाढवण बंदरगाह से नाशिक के चांदवड तहसील के भरवीर स्थित समृद्धि महामार्ग को जोड़ने के लिए 104.898 किमी हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे बनाने को मंजूरी दी है। इस परियोजना का काम महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल (एमएसआरडीसी) के माध्यम से किया जाएगा। परियोजना के लिए हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (हुडको) से 1 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज जुटाया जाएगा। इस कर्ज के साथ परियोजना के लिए 2 हजार 528 करोड़ 90 लाख रुपए का प्रावधान करने को मंजूरी दी गई है। सरकार ने परियोजना का काम तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य है। इस परियोजना को पूरा होने के बाद वाढवण बंदरगाह से भरवीर तक का 4 से 5 घंटे का सफर केवल 1 से 1.30 घंटे में पूरा किया जा सकेगा। हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे पालघर जिले के डहाणू, विक्रमगड, जव्हार, मोखाडा और नाशिक जिले का त्रंबकेश्वर व इगतपुरी तहसील से गुजरेगा। वाढवण ट्रान्सशिपमेंट बंदरगाह को वाढवण पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड के जरिए बनाया जा रहा है। केंद्र सरकार के भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने सागरमाला परियोजना के तहत वाढवण बंदरगाह से तवा (राज्य महामार्ग-48) तक 32 किमी मगामार्ग का काम शुरू किया है। समृद्धि महामार्ग से वाढवण बंदरगाह तक आवाजाही के लिए भरवीर-आमणे (समृद्धि महामार्ग) से वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेस वे से जाना पड़ता है। इस कारण लगभग 82 किमी का लंबा अनावश्यक सफर करना की जरूरत पड़ती है। लेकिन हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे से तवा- भरवीर और वडोदरा - मुंबई एक्सप्रेस वे की समृद्धि महामार्ग तक की दूरी 183.48 किमी के बजाय 104.898 किमी हो जाएगी। इससे परिवहन का अंतर 78.582 किमी कम हो जाएगा। वाढवण बंदरगाह से माल की ढुलाई विदर्भ, मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र अंचल में करने में आसानी होगी।
नागपुर की बुनकर सहकारी सूत मिल के कर्मियों को 50 करोड़ रुपए का अनुदान
नागपुर बुनकर सहकारी सूत मिल के 1 हजार 124 कामगारों को 50 करोड़ रुपए का सानुग्रह अनुदान देने को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। सूत मिल की जमीन बेचने से उपलब्ध राशि से यह अनुदान दिया जाएगा। बंद पड़ी सूत मिल के कर्मियों की लंबे समय से बकाया राशि देने की मांग की थी। इसलिए सरकार ने मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है। सूत मिल की 20.20 एकड़ जमीन म्हाडा को रेडी रेकनर दर से बेची गई है। इसके निधि से सानुग्रह अनुदान का राशि जुटाई जाएगी। नागपुर स्थित वस्त्रोद्योग आयुक्तालय के माध्यम से कर्मियों को निधि बांटी जाएगी। इससे पहले सूत मिल की जमीन को बेचकर विशेष सानुग्रह अनुदान देने का फैसला 9 जुलाई 2024 को उपमुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली बैठक में लिया गया था।
एसटी की जमीनों को 98 साल के लिए लीज पर देने को मंजूरी, पहले 60 साल के लिए किराए पर जमीन देने का था प्रावधान
महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन महामंडल (एसटी) की अतिरिक्त जमीनों का व्यावसायिक उपयोग के लिए संशोधित नीति को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इस नीति के तहत एसटी की अतिरिक्त जमीनों को 60 साल के बजाय अब 49-49 साल के दो चरणों को मिलाकर 98 वर्ष के लिए लीज (किराया करार) पर दिया जा सकेगा। लीज की अवधि बढ़ाने से एसटी महामंडल के प्रस्तावित परियोजनाओं को गति मिल सकेगी। एसटी के बस डिपो, बस स्टैंड, महानगरों और अन्य इलाकों में यात्रियों और विभिन्न समूहों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी। इसके लिए एसटी महामंडल सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं के लिए 60 साल के बजाय 99 वर्ष के लिए अतरिक्त जमीन लीज पर दे सकेगा। इससे पहले साल 2001 में एसटी महामंडल की अतिरिक्त जमीनों को 30 साल के लिए लीज पर देने का फैसला लिया गया था। इसके तहत एसटी महामंडल ने साल 2016 तक बीओटी (बनाओ-चलाओ और सौंप दो) पर 45 परियोजनाओं का काम किया था। इस नीति के तहत 13 जगहों पर आधुनिक बस स्टैंड का निर्माण प्रस्तावित था। लेकिन इस परियोजना को बहुत कम प्रतिसाद मिला था। केवल पनवेल और छत्रपति संभाजीनगर में परियोजना को प्रतिसाद मिला था। इसके बाद सरकार ने साल 2024 में नए नीति लागू करते हुए लीज की अवधि 30 साल से बढ़ाकर 60 साल कर दिया गया था। लेकिन सरकार के विभिन्न महामंडलों और प्राधिकरण की जमीनों के लिए लीज की अवधि 99 साल की है। इसलिए विशेषज्ञ समिति के राय के बाद अब एसटी की जमीनों के लिए भी लीज की अवधि 98 साल की गई है। इससे एसटी महामंडल को डेढ़ से दो गुना अग्रिम प्रीमियम भी मिल सकेगा
कुष्ठरोगियों की संस्थाओं के मानधन में बढ़ोतरी
कुष्ठरोगियों के लिए अस्पताल और उनके पुनर्वसन के लिए कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं के अनुदान में बढ़ोतरी की गई है। राज्य मंत्रिमंडल के फैसले के अनुसार कुष्ठरोगियों के लिए अस्पताल के स्तर पर कार्यरत परिशिष्ट-अ की 13 निजी स्वयंसेवी संस्थाओं को अब 2 हजार 200 रुपए के बजाय अब 6 हजार 600 रुपए अनुदान मिल सकेगा। जबकि परिशिष्ट-ब में शामिल 16 स्वयंसेवी संस्थाओं को प्रति मरीज 2 हजार रुपए के बजाय अब 6 हजार रुपए अनुदान दिया जाएगा।
Created On :   5 Aug 2025 9:09 PM IST