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Mumbai News: जैन त्योहार के दौरान 9 दिनों के लिए बूचड़खाने बंद करने का कानून नहीं - बॉम्बे हाई कोर्ट

- दो सप्ताह में मामले की अगली सुनवाई
- अदालत ने बीएमसी को जारी किया नोटिस
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि हम जैन त्योहार के दौरान 9 दिनों तक बूचड़खाने बंद करने के लिए किसी भी राज्य प्राधिकरण को आदेश जारी नहीं कर सकते हैं, क्योंकि ऐसा कोई कानून या नियम नहीं है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ के समक्ष जैन समाज द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में जैन धर्म के पर्यूषण पर्व के लिए 9 दिनों के लिए बूचड़खाने बंद करने का अनुरोध किया गया है। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि आप परमादेश मांग रहे हैं। इसके लिए कानून में आदेश होना चाहिए। कानून कहां है? इसमें कहां लिखा है कि बूचड़खाने 9 दिनों के लिए बंद रहेंगे? पीठ ने कहा कि वर्तमान मामला हिंसा विरोधी संघ के मामले से अलग है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने जैन त्योहार के दौरान बूचड़खानों को बंद करने के अहमदाबाद महानगरपालिका के फैसले को बरकरार रखा था। पीठ ने कहा कि आप कठिनाई को समझेंगे। अहमदाबाद महानगरपालिका ने एक फैसला लिया था, लेकिन इस मामले में कोई विधायी आदेश, कोई नियम, कोई कानून, कोई नीति और कोई कानूनी रूप से लागू करने योग्य अधिकार नहीं है कि उन्हें बंद करना ही होगा। वह बाध्यता कहां है? आप अंतर समझते हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने दलील दिया कि मुंबई में अहमदाबाद की तुलना में जैन आबादी ज़्यादा है और बीएमसी ने इस बात को ध्यान में नहीं रखा। उन्होंने हिंसा विरोधी संघ के फैसले का हवाला देते हुए तर्क दिया कि ऐसा बंद असंवैधानिक नहीं है और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करताहै। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह दलील मछली या समुद्री भोजन पर लागू नहीं होती।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील प्रसाद ढकेफालकर ने दलील दिया कि बीएमसी ने मांसाहारी आबादी की प्राथमिकताओं पर ज़रूरत से ज़्यादा ध्यान दिया है, जबकि मुंबई के ज़्यादातर लोग शाकाहारी हैं।
पीठ ने कहा कि अहमदाबाद मामले में महानगरपालिका ने खुद फ़ैसला लिया था, न कि किसी अदालत के न्यायिक निर्देश पर बंद किया गया था। पीठ ने सुझाव दिया कि यदि याचिकाकर्ताओं का मानना है कि बीएमसी का निर्णय प्रासंगिक तथ्यों पर विचार किए बिना या बिना सोचे-समझे लिया गया है, तो उन्हें याचिका दायर करने के बजाय उस आदेश को चुनौती देने के लिए अपनी याचिका में संशोधन करना चाहिए। पीठ याचिकाकर्ताओं को याचिका में संशोधन करने का समय देने के लिए मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया और बीएमसी को नोटिस भी जारी किया है।
पिछली सुनवाई में पीठ ने मुंबई महापालिका (बीएमसी) को पर्यूषण के दौरान केवल एक दिन के लिए बंद करने के अपने प्रारंभिक फैसले के बाद जैन समुदाय के अनुरोध पर विचार करने का निर्देश दिया था। इसके बाद बीएमसी ने 14 अगस्त के एक आदेश में बंद को दो दिनों 24 अगस्त और 27 अगस्त (बाद में गणेश चतुर्थी भी थी) तक बढ़ा दिया। इससे नाखुश होकर याचिकाकर्ता अदालत लौट आए और शुरू हो रहे त्योहार की अवधि के लिए पूरे 9 दिनों के बंद की मांग की।
Created On :   20 Aug 2025 10:24 PM IST