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बॉम्बे हाई कोर्ट: कोई राहत नहीं - पत्नी पर मिट्टी का तेल फेंक कर आग लगा देने का आचरण क्रूर है

- अदालत ने पत्नी की हत्या के दोषी व्यक्ति को राहत देने से किया इनकार
- अदालत ने सोलापुर सेशन कोर्ट के हत्या की सजा को गैर इरादत हत्या में बदला से भी किया इनकार
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने पत्नी की हत्या के दोषी व्यक्ति को राहत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि पत्नी पर मिट्टी का तेल फेंक कर आग लगा देने का आचरण निश्चित रूप से क्रूर है। हत्या की सजा को गैर इरादत हत्या में बदला नहीं जा सकता है। अदालत ने उसके खिलाफ पत्नी की हत्या के दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सोलापुर सेशन कोर्ट की सजा को बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की पीठ ने कहा कि दोषी अंबादास चंद्रकांत आरेट्टा ने अपनी पत्नी पर मिट्टी का तेल फेंक कर आग लगा दी और बच्चों को घर से बाहर निकाल दिया। उसने बाहर से घर का दरवाजा बंद कर दिया और लोगों को उसकी मदद करने से रोका। यह सब आचरण निश्चित रूप से क्रूर है। उसने अपनी पत्नी और बच्चों की कमजोरी का अनुचित लाभ उठाया। इसलिए उसे आईपीसी की धारा 300 के अपवाद 4 के अंतर्गत इस मामले में लाभ नहीं मिल सकता है।
पीठ ने कहा कि अपवाद तब होता, जब यदि यह अचानक झगड़े के बाद आवेश में अचानक लड़ाई में बिना सोचे-समझे किया जाता है और अपराधी द्वारा अनुचित लाभ नहीं उठाया जाता है या क्रूर या असामान्य तरीके से काम नहीं किया जाता है, तो उसे हत्या नहीं माना जाता है। हम इस दलील से संतुष्ट नहीं हैं कि यह अपराध आईपीसी की धारा 304 (ए) के तहत गैर इरादतन हत्या का हो सकता है और आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत नहीं है। पीठ ने सोलापुर सेशन कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली आरेट्टा की याचिका को खारिज कर दिया। सेशन कोर्ट ने 3 दिसंबर 2014 को पारित आदेश द्वारा याचिकाकर्ता को अपनी पत्नी की हत्या के लिए दोषी ठहराया था और उसे कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
आरेट्टा पेशे से दर्जी था, लेकिन वह काम नहीं करता था और शराब एवं जुए का आदी था। पत्नी बीड़ी बनाने के छोटे कारखाने में काम करती थी और तीन बच्चों को जीविकोपार्जन करती थी। 10 फरवरी 014 की रात को आरेट्टा ने अपनी पत्नी से पैसे के लिए झगड़ा किया और उसके शरीर पर मिट्टी का तेल डालकर उसे आग लगा दी। जब वह मदद के लिए चिल्लाने लगी, तो उसने अपने बच्चों को घर से बाहर निकाल दिया और बाहर का दरवाजा बंद कर दिया। उसने अपनी बेटी को भी मां पुष्पा की मदद करने से रोक दिया। पुष्पा के भाई के मौके पर पहुंचने और उसने अपनी बहन को सिविल अस्पताल ले गया। वह कुछ दिनों तक जिंदगी के लिए जद्दोजहद करती रही, लेकिन बाद में अधिक जलने के कारण उसकी मौत हो गई।
Created On :   17 Jun 2025 9:30 PM IST