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Mumbai News: जेल से रिहा छात्रा परीक्षा में हुई शामिल, मुंबई विश्वविद्यालय को 12 विद्यार्थियों की स्नातक डिग्री मार्कशीट देने का निर्देश, रिश्वत मामले में चपरासी को जमानत

- विवादित पोस्ट मामले में हाई कोर्ट के आदेश पर जेल से रिहा छात्रा परीक्षा में हुई शामिल
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयूएचएस) और मुंबई विश्वविद्यालय को 12 विद्यार्थियों को स्नातक डिग्री की मार्कशीट देने का दिया निर्देश
- 2016 के रिश्वत मामले में टीएमसी के चपरासी को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली जमानत
Mumbai News. ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया में विवादित पोस्ट करने की आरोपी पुणे की छात्रा ने जमानत मिलने के बाद दूसरे वर्ष की परीक्षा में शामिल हुई। छात्रा की वकील फरहाना शाह ने गुरुवार को अदालत को जानकारी दी और गिरफ्तारी के दौरान छात्रा की छूटी हुई प्रैक्टिकल परीक्षा लेने के लिए सिंहगड एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग को दिशा-निर्देश देने का आग्रह किया। अदालत ने कहा कि इस मामले में अब और कोई आदेश देने की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने 9 जून को मामले की अगली सुनवाई रखी है। छात्रा के हिरासत में रहने के दौरान दो पेपर और कई प्रैक्टिकल परीक्षाएं छूट गई थीं। इस पर अदालत ने कहा कि छात्रा जिस कॉलेज और सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से संबद्ध है, उसे आवश्यक आवेदन देकर छूटी परीक्षाओं में फिर से शामिल होने की विशेष अनुमति मांग सकती है। जबकि कॉलेज ने कहा कि हाई कोर्ट के निर्देश पर छात्रा के लिए परीक्षा में शामिल होने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।
क्या है पूरा मामला
बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (सूचना प्रौद्योगिकी) की छात्रा ने 7 मई को इंस्टाग्राम पर ‘रिफॉर्मिस्तान' नामक अकाउंट से ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एक पोस्ट की थी। इस मामले में पुणे की कोंढवा पुलिस ने 9 मई को एफआईआर दर्ज की और छात्रा गिरफ्तार कर लिया। कॉलेज ने भी उसे निष्कासित कर दिया था। छात्रा ने अपने निष्कासन को चुनौती देते हुए एफआईआर रद्द करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयूएचएस) और मुंबई विश्वविद्यालय को 12 विद्यार्थियों को स्नातक डिग्री की मार्कशीट देने का दिया निर्देश
इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयूएचएस) और मुंबई विश्वविद्यालय को 12 विद्यार्थियों की स्नातक डिग्री की मार्कशीट देने का निर्देश दिया है। एमयूएचएस ने कर्नाटक के स्कूल शिक्षा बोर्ड हुबली (बीएसई) से माध्यमिक विद्यालय परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले 12 विद्यार्थियों को स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अयोग्य ठहराया था, क्योंकि वह (विद्यालय) भारत में स्कूल शिक्षा बोर्ड परिषद (सीओबीएसई ) के साथ पंजीकृत नहीं है। इसलिए मुंबई विश्वविद्यालय ने 12 विद्यार्थियों के स्नातक परीक्षा पास की मार्कशीट देने से इनकार कर दिया था। विद्यार्थियों ने मुंबई विश्वविद्यालय से संबद्ध संस्था द्वारा संचालित स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त किया था। न्यायमूर्ति ए.एस.चंदुरकर और न्यायमूर्ति एम.एम.साठे की पीठ ने 12 विद्यार्थियों की याचिकाओं पर अपने फैसले में कहा कि प्रत्येक याचिकाकर्ता स्नातक पाठ्यक्रम के परिणामों की घोषणा और डिग्री प्राप्त करने के हकदार हैं। कर्नाटक के धारवाड़ पुलिस स्टेशन ने 15 फरवरी 2023 को याचिकाकर्ताओं के संबंध में उनके परिणाम की घोषणा और डिग्री प्रदान करना को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने हूबली स्कूल के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की है। इसको लेकर पीठ ने यह स्पष्ट किया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय, कर्नाटक सरकार, एमयूएचएस, मुंबई विश्वविद्यालय और सीओबीएसई को हुबली के बीएसई के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखने या कार्रवाई शुरू करने से नहीं रोका गया है। यदि उसने कोई अवैध काम किया है, तो उनके खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की जा सकती है। स्कूल शिक्षा बोर्ड हुबली से परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद विद्यार्थियों ने मुंबई विश्वविद्यालय से संबंध पुणे के एमए रंगूनवाला कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर में प्रथम वर्ष बैचलर ऑफ डेंटल स्टडीज (बीडीएस) पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया। प्रवेश के बाद जब उन्हें शैक्षणिक सत्र 2015-16 के प्रथम वर्ष के अंत में परीक्षा में बैठना था, तो उनके कॉलेज को 12 मई 2016 को एमयूएचएस द्वारा सूचित किया गया कि याचिकाकर्ताओं ने हुबली बीएसई से माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी, जो सीओबीएसई के साथ पंजीकृत नहीं था। इसलिए वे स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए अयोग्य थे। इस कारण से याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई। याचिकाकर्ताओं ने 12 मई 2016 को हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। अदालत के आदेश पर उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई और उन्होंने स्नातक पाठ्यक्रम की पढ़ाई पूरी की।
2016 के रिश्वत मामले में टीएमसी के चपरासी को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली जमानत
बॉम्बे हाई कोर्ट से 2016 के रिश्वत लेने के मामले में ठाणे महानगरपालिका (टीएमसी) के चपरासी राजेश यशवंत जाधव को जमानत मिल गई। ठाणे से सेशन कोर्ट ने इस साल 5 मई को उसे रिश्वत लेने का दोषी ठहराते हुए एक साल के कारावास की सजा सुनाई थी। न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की अवकाश कालीन पीठ के समक्ष राजेश यशवंत जाधव की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील प्रमोद अर्जुनवाडकर ने दलील दी कि विशेष न्यायाधीश ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत दंडनीय अपराध के संबंध में एक वर्ष की सजा सुनाई थी। न्यायाधीश के समक्ष मामला लंबित रहने के दौरान याचिकाकर्ता जमानत पर था। उन्होंने जमानत की शर्तों का पालन किया है। इसलिए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए। पीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को जमानत दी जाती है। उसके खिलाफ आपराधिक अपील की सुनवाई और अंतिम निपटान तक एक वर्ष की सजा निलंबित रहेगी। याचिकाकर्ता को विशेष न्यायाधीश की संतुष्टि के लिए समान राशि के एक या दो जमानतदारों के साथ 50 हजार रुपए का पी.आर.बांड भरने पर रिहा किया जाएगा। वह न्यायालय के समक्ष तब उपस्थित होगा, जब आपराधिक अपील सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होगी। साल 2016 में शिकायतकर्ता के परिचित व्यक्ति को टीएमसी के जल आपूर्ति विभाग से पानी के नल कनेक्शन की आवश्यकता थी। उसने पानी के कनेक्शन के लिए चपरासी जाधव से संपर्क किया। उसने पानी के कनेक्शन के लिए 10 हजार रुपए की रिश्वत मांग की। शिकायतकर्ता ने जाधव के खिलाफ ठाणे के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में शिकायत कर दिया। एसीबी ने उसे 5 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया था।
Created On :   29 May 2025 9:16 PM IST