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बॉम्बे हाई कोर्ट: कांदिवली में फर्जी ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग रैकेट भंडाफोड़ मामले में पारेख को मिली राहत

- बॉम्बे हाई कोर्ट से आरोपी विरल प्रवीण पारेख को मिली राहत
- अदालत ने पारेख को रिहा करने का दिया आदेश
- 615 करोड़ रुपए के अवैध लेनदेन का आरोप
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट से कांदिवली में फर्जी ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग रैकेट के भंडाफोड़ के मामले के आरोपी विरल प्रवीण पारेख को जमानत मिल गई है। उस पर 615 करोड़ रुपए के अवैध लेनदेन का आरोप है।
अदालत ने कहा कि एक पुलिस अधिकारी संज्ञेय अपराध की जांच कर सकता है, लेकिन वह ऐसा या तो सीआरपीसी की धारा 156(1) के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करके कर सकता है या सीआरपीसी की धारा 156(3) या धारा 202 के तहत मजिस्ट्रेट से प्राप्त निर्देश पर कर सकता है।
न्यायमूर्ति एन.जे. जमादार की एकलपीठ ने विरल प्रवीण पारेख की ओर से वकील कृपाशंकर पांडे की दायर जमानत याचिका पर कहा कि सीआरपीसी की धारा 156(1) के तहत मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना जांच करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति से संबंधित हैं। पुलिस अधिकारी की यह शक्ति तभी लागू होती है, जब उसे सीआरपीसी की धारा 154 के तहत संज्ञेय अपराध के घटित होने की शिकायत प्राप्त होती है। धारा 154 के तहत प्राप्त और दर्ज एफआईआर के अभाव में किसी पुलिस अधिकारी द्वारा जांच किए जाने के लिए कोई मामला नहीं होगा।
क्या है पूरा मामला
मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बिना किसी नियामक मंजूरी के चल रहे अवैध शेयर ट्रेडिंग रैकेट का पर्दाफाश किया। यह कार्रवाई नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के अधिकारियों की मौजूदगी में की गई। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से किसी भी आधिकारिक लाइसेंस के बिना एक फर्जी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से 615 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार किया जा रहा था, जिससे सरकार को कर राजस्व का बड़ा नुकसान हुआ। पुलिस ने इस मामले में विरल प्रवीण पारेख को गिरफ्तार किया था।
Created On :   19 Oct 2025 10:27 PM IST