सत्र की अवधि को लेकर जनप्रतिनिधि एकमत नहीं

सत्र की अवधि को लेकर जनप्रतिनिधि एकमत नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई, विजय सिंह ’कौशिक’। विधानसभा सत्र कितने दिन चले, इस पर जनप्रतिनिधि ही एकमत नहीं हैं। राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन में भाग ले रहे विधायकों ने इस बारे में तर्क भी दिए हैं। महाराष्ट्र विधानपरिषद सदस्य राकांपा के विक्रम काले का कहना है कि सदन की कार्यवाही साल में कम से कम 100 दिन तक चलनी चाहिए, क्योंकि कम दिन सत्र चलने पर सभी विधायकों को बोलने का मौका नहीं मिलता। राजस्थान विधानसभा में भाजपा के उप नेता सतीश पूनिया ने कहा कि साल में 100 दिन अधिवेशन चलाना व्यवहारिक नहीं है, क्योंकि विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र में काम करने के लिए भी समय चाहिए। वहीं, महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि सत्र कितने दिन चले इसे लेकर कोई निर्देश नहीं है, लेकिन दुनिया के कई देशों में इसके लिए निश्चित कैलेंडर हैं। उन्होंने कहा, ‘पहले की अपेक्षा विधानसभा की बैठक लगातार कम हो रही हैं। इससे महत्वपूर्ण विधेयक सहित बजट भी बगैर चर्चा के पारित होते हैं। संविधान के अनुसार विधानमंडल की दो बैठकों में 6 माह से अधिक अंतर नहीं होना चाहिए।’

विक्रम काले, विधानपरिषद सदस्य, महाराष्ट्र के मुताबिक पूरे देश में विधानमंडल सत्र की अवधि लगातार कम हो रही है। वरिष्ठ विधायकों को ही बोलने का मौका मिल पाता है।

सतीश पूनिया, राजस्थान विधान सभा में भाजपा के उप नेता के मुताबिक सालभर में 100 दिन तक सत्र चलाना व्यावहारिक नहीं होगा। विधायक बहुत ज्यादा समय तक अपने चुनाव क्षेत्र से दूर नहीं रह सकते।

‘पढ़े-लिखों की है यूपी विधानसभा’

उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में यूपी की छवि बदलने में कामयाबी मिली है। राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन में आकर मैंने यह बताया कि यूपी के विधायक गुंडे-बदमाश नहीं, बल्कि उच्च शिक्षित हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा के कुल 403 सदस्यों में से फिलहाल 18 डाक्टर, 16 पीएचडी, 17 बीटेक, 16 एमबीए और 47 महिला विधायक हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन एक अच्छा अवसर है। यहां हमने तमिलनाडु, मेघालय सहित कई राज्यों के विधायकों के साथ चर्चा की।

Created On :   18 Jun 2023 10:13 AM GMT

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