एम्बुलेंस में सायरन की जहग सुनाई देंगी किलकारियां

एम्बुलेंस में सायरन की जहग सुनाई देंगी किलकारियां
  • माताओं और शिशुओं की खुशियों वाली होगी 'खिलखिलाहट'
  • बच्चों की किलकारियों वाली होगी
  • जून के दूसरे सप्ताह से होगी शुरू

डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान। मुंबईकर अक्सर एम्बुलेंस का सायरन सुनकर घबरा जाते हैं, लेकिन अगले महीने जून से दृश्य बदलता हुआ देख पाएंगे। कुछ एम्बुलेंस के सायरन की आवाज नवजात बच्चे की किलकारियां वाली होंगी। माताओं और शिशुओं के लिए खुशी लाने वाली 'खिलखिलाहाट एम्बुलेंस' सेवा की शुरुआत राज्य की महिला व बाल कल्याण मंत्रालय के मार्फत की जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने वहां खिलखिलाहाट एम्बुलेंस सेवा की शुरुआत की थी। अब यह सेवा मुंबई में शुरू की जा रही है। इस सेवा की घोषणा महिला व बाल कल्याण विभाग के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने बीते महीने की थी। अब यह मूर्त रूप ले रहा है। मुंबई में इसके प्रतिसाद को देखते हुए पूरे राज्य में इसका विस्तार किया जाएगा।

शुरुआत में 5 एम्बुलेंस

मंगल प्रभात लोढ़ा ने बताया कि शुरुआत में 5 एम्बुलेंस शुरू किए जाएंगे। जून के दूसरे सप्ताह में सड़कों पर दौड़ती हुई नजर आएंगी। यह एम्बुलेंस सेवा पूरी तरह से मुफ्त होगी। इस एम्बुलेंस का वातावरण खासकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए खुशनुमा बनाया गया है।

इसलिए भी आएगी काम

इस एम्बुलेंस का इस्तेमाल महिला को प्रसव के लिए , गर्भावस्था के दौरान कोई परेशानी होने पर अस्पताल ले जाने के लिए किया जा सकेगा। इसके साथ ही अगर बच्चा बीमार है तो उसे भी एम्बुलेंस की यह सेवा मिल सकेगी। इस एम्बुलेंस में सुखद वातावरण में सिर्फ अस्पताल ही नहीं बल्कि अस्पताल से नवजात को घर लाने के लिए भी होगा।

ऐसी होगी एम्बुलेंस

एंबुलेंस का सायरन कई दिलों में घर कर जाता है। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को भी यह आवाज प्रभावित करती है। इसलिए इस एंबुलेंस की आवाज किसी बच्चे की हंसी व किलकारी होगी। एम्बुलेंस के भीतर अच्छी तस्वीरें और खिलौने होंगे। एंबुलेंस के बाहरी हिस्से पर रंगीन चित्र भी होंगे। इसके अलावा नवजात शिशुओं के लिए चरणबद्ध टीकाकरण की जानकारी भी एम्बुलेंस से दी जाएगी। इसके साथ ही नजदीकी अस्पताल की भी जानकारी दी जाएगी।

क्या कहते है मनोरोग विशेषज्ञ

मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सागर मूंदड़ा ने बताया कि इस कदम को हमें दोनों पहलुओं से देखना होगा। पहला पहलू यह है कि इस एम्बुलेंस में जानेवाले बच्चों और माताओं को एक सुखद अनुभव मिलेगा। उन्हें एक पॉजिटिव ऊर्जा मिलेगी। लेकिन दूसरा पहलू यह भी यह है कि एम्बुलेंस की आवाज इसलिए कर्कश होती है क्योंकि उसे अस्पताल पहुंचने का रास्ता आसानी से मिल सके क्योंकि अस्पताल में जानेवाला मरीज गंभीर होता है। बच्चों की किलकारियों वाला सायरन कही एम्बुलेंस के रास्ते मे बाधा नहीं बन जाए। यह सवाल भी डॉ. मूंदड़ा ने किया।

Created On :   29 May 2023 12:28 PM GMT

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