अनुकंपा नियुक्ति के लिए शिक्षिका की बेटी को लड़नी पड़ी 10 साल लंबी लड़ाई

अनुकंपा नियुक्ति के लिए शिक्षिका की बेटी को लड़नी पड़ी 10 साल लंबी लड़ाई
  • शिक्षिका की बेटी को लड़नी पड़ी 10 साल लंबी लड़ाई
  • अनुकंपा नियुक्ति के लिए की जद्दोजहद
  • शिक्षा अधिकारी के कड़े रुख के बाद दादर के शारदाश्रम स्कूल ने दी नौकरी

डिजिटल डेस्क, मुंबई, दुष्यंत मिश्र. शिक्षिका की असामायिक मौत के बाद उसकी बेटी को अनुकंपा नियुक्ति के लिए 10 साल की लड़ाई लड़नी पड़ी। शिक्षा विभाग के अधिकारी की कड़ाई के बाद आखिरकार शिक्षिका की बेटी को क्लर्क के पद पर नियुक्त किया गया है। मामला दादर के उस मशहूर शारदाश्रम स्कूल का है जहां कभी क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर पढ़ते थे। निरुपमा ढवले को स्कूल ने कनिष्ठ लिपिक के पद पर नियुक्त किया है। निरुपमा की मां लता ढवले शारदाश्रम बालिका स्कूल में सहायक शिक्षिका थीं। मार्च 2013 में लता का बीमारी के चलते निधन हो गया था। निरुपमा ने बताया कि उनके पिता का मां से 18 महीने पहले ही निधन हो चुका था। 22 साल की उम्र में उनके पास आय का कोई साधन नहीं था और उन पर मानसिक परेशानी से जूझ रहे बड़े भाई की भी जिम्मेदारी थी। मां के निधन के बाद निरुपमा ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया लेकिन वहां तैनात एक क्लर्क ने उनके आवेदन को गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद साल दर साल अनुपमा स्कूल के चक्कर लगातीं रहीं और अलग-अलग बहानों से उन्हें नौकरी देने से इनकार किया जाता रहा। इस बीच अनुपमा ने फोटोग्राफी सीखी इसके जरिए जो थोड़ बहुत आमदनी होती थी उसी से जिंदगी काटती रही। इसी बीच परेशान अनुपमा ने टीचर्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के जनार्दन जंगले से मदद मांगी, लंबी लड़ाई के बाद साल 2019 में तत्कालीन मंत्री बच्चु कडु ने अधिकारियों को कहा कि वे अनुपमा को स्कूल में नौकरी दिलाने की व्यवस्था करें। तब भी कुछ नहीं हो पाया आखिरकार मुंबई दक्षिण विभाग के शिक्षा अधिकारी देवीदास महाजन को मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने भी स्कूल को साफ निर्देश दिए कि उन्हें अनुपमा को नौकरी देनी होगी। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने निरुपमा को 4 जुलाई को नियुक्ति पत्र मिल गया। अनुपमा शारदाश्रम स्कूल की ही छात्रा थी और वह स्कूल की क्रिकेट टीम का भी हिस्सा थी।

पिछले 10 वर्षों का समय मेरे लिए बहुत मुश्किल था, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी, मुझे खुशी है कि स्कूल ने आखिरकार अनुकंपा नियुक्ति का मेरा अधिकार स्वीकार किया-निरुपमा ढवले, नवनियुक्त कनिष्ठ लिपिक शारदाश्रम स्कूल

कर्मचारी के असामायिक निधन के बाद उसके परिवार को बेसहारा नहीं छोड़ा जा सकता, राज्य सरकार के नियम के बावजूद कई स्कूल मनमानी करते हैं यह गंभीर मामला है जिसकी इजाजत नहीं दी जा सकती-जनार्दन जंगले, टीचर्स डेमोक्रेटिक फ्रंट

देवीदास महाजन, शिक्षा अधिकारी, दक्षिण मुंबई के मुताबिक परिवार आर्थिक परेशानी से जूझ रहा था उन्हें अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार था, सरकार का आदेश भी इस बारे में एकदम स्पष्ट है। नियुक्ति 10 साल पहले ही लड़की को नौकरी मिलनी चाहिए थी, मेरे सामने मुद्दा आया तो मैंने स्कूल प्रबंधन से बात की और लड़की को नियुक्ति मिल गई। विभाग से मंजूरी के बाद जल्द ही उन्हें वेतन मिलने लगेगा

Created On :   7 July 2023 10:10 PM IST

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