उद्धव गुट का साथ छोड़ने वाली विधायक के खिलाफ याचिका दाखिल करेगी पार्टी

पाला बदलना पड़ सकता है महंगा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना (उद्धव गुट) से पाला बदलकर शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल होने वाली विधायक मनीषा कायंदे को पक्ष प्रमुख तथा पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे झटका देने की तैयारी में हैं। शिवसेना (उद्धव गुट) के विधायक अनिल परब ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में कहा कि शिवसेना मनीषा के खिलाफ अयोग्यता की याचिका दाखिल करने के लिए कानूनी सलाह ले रही है। हम जल्द ही मनीषा के खिलाफ अयोग्यताको लेकर याचिका दाखिल करने के बारे में फैसला लेंगे। वहीं महाराष्ट्र विधानमंडल के पूर्व प्रधान सचिव अनंत कलसे ने कहा कि शिवसेना (उद्धव गुट) को मनीषा के खिलाफ याचिका दाखिल करने का अधिकार है। यदि शिवसेना (उद्धव गुट) चाहेगा तो वह मनीषा के खिलाफ याचिका दाखिल कर सकता है।

कलसे ने कहा कि फिलहाल विधान परिषद में सभापति का पद रिक्त है। इस कारण शिवसेना (उद्धव गुट) को विधान परिषद में उपसभापति नीलम गोर्हे के पास अयोग्यता संबंधी याचिका दाखिल करना पड़ेगा। इसके पहले शिवसेना (अविभाजीत) के टिकट पर मनीषा 28 जुलाई 2018 को विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुए थीं। उनका विधान परिषद का कार्यकाल 27 जुलाई 2024 तक है।मनीषा बीते रविवार को उद्धव का साथ छोड़कर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना में शामिल हो गई थी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उन्हें शिवसेना का सचिव और प्रवक्ता बनाया है। मनीषा से पहले विधान परिषद के विधायक विप्लव बाजोरिया ने भी शिवसेना (उद्धव गुट) को छोड़कर शिंदे गुट में प्रवेश किया था।

विधानसभा अध्यक्ष के पास भी प्रलंबित हैं याचिकाएं

शिवसेना से बगावत करने वाले शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य करार देने संबंधी याचिका विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के पास प्रलंबित है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को बागी विधायकों की अयोग्यता के बारे में फैसला लेना है। विधानसभा अध्यक्ष के पास शिवसेना (शिंदे गुट) ने भी उद्धव गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता संबंधी याचिका दाखिल की है।

मनीषा ने 40 करोड़ की फाइल के कारण पार्टी छोड़ी- संजय राऊत

इस बीच शिवसेना (उद्धव गुट ) के सांसद संजय राऊत ने दावा किया है कि मनीषा की 40 करोड़ रुपए की कोई फाइल तैयार हुई थी। इस कारण वे उद्धव का साथ छोड़कर मुख्यमंत्री के खेमे में चली गई हैं। राऊत ने कहा कि मुझे पता नहीं कि मनीषा को विधान परिषद का टिकट किसने दिया था। आने वाले समय में हमें अधिक सावधान रहना पड़ेगा। इसके जवाब में मनीषा ने कहा कि विकास निधि को लेकर सभी विधायकों की फाइल संबंधित विभागों के पास प्रलंबित हैं। विकास निधि कम ज्यादा मिलती रहती है। मनीषा ने कहा कि उद्धव की पार्टी में मेरी अनदेखी हो रही थी। मुझे पार्टी की बैठकों में नहीं बुलाया जा रहा था। मुझे पार्टी के संगठन में कोई अहम जिम्मेदारी नहीं दी जा रही थी। इस कारण मैंने उद्धव का साथ छोड़ने का फैसला लिया है।

विप में विपक्ष के नेता पद का फैसला महाविकास आघाड़ी मिलकर लेगी फैसला- अजित पवार

विधायक मनीषा कांयदे के शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल होते ही विधान परिषद में शिवसेना (उद्धव गुट) का संख्या बल कम हो गया है। इससे विधान परिषद में विपक्ष के नेता पद पर राकांपा ने नजरें गड़ा ली है। फिलहाल शिवसेना (उद्धव गुट) के विधायक अंबादास दानवे विधान परिषद में विपक्ष के नेता हैं। लेकिन मनीषा के शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल होने के बाद शिवसेना (उद्धव गुट) का संख्याबल राकांपा के बराबर (नौ) हो गया है। इससे उद्धव गुट की चिंता बढ़ गई है। हालांकि विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने सोमवार को अमरावती में कहा किराकांपा ने अभी तक विधान परिषद में विपक्ष के नेता पद पर दावा करने को लेकर कोई विचार नहीं किया है। विपक्ष के नेता पद को लेकर महाविकास आघाड़ी के तीनों दल मिलकर अंतिम फैसला लेंगे। दूसरी तरफ विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने दावा किया कि मनीषा कांयदे और विप्लव बाजोरिया ने विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है। दोनों तकनीकी रूप से शिवसेना के ही सदस्य हैं। इसलिए राकांपा का विधान परिषद में विपक्ष के नेता पद पर दावा करने का कोई मतलब नहीं होगा।

विधान परिषद में दलवार संख्या

राकांपा - 9

शिवसेना (उद्धव गुट)- 9

कांग्रेस- 8

भाजपा - 22

शिवसेना (शिंदे गुट) - 2

जेडीयू - 1

शेकाप- 1

रासपा- 1

निर्दलीय- 4

रिक्त - 21

कुल - 78

Created On :   19 Jun 2023 7:56 PM IST

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