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हरियाणा से 40 गिद्ध पेंच, ताड़ोबा व मेलघाट में लाए जाएंगे
- रेस्क्यू किए गए गिद्ध पेंच में छोड़े गए
- गिद्ध मुक्त कार्यक्रम का आयोजन
डिजिटल डेस्क, नागपुर. विदर्भ के जंगलों में गिद्धों की संख्या बढ़ाई जाएगी। इन्हें हरियाणा से यहां लाया जाएगा। इन गिद्धों को ताड़ोबा, पेंच व मेलघाट के जंगल में छोड़ा जाने वाला है। बॉम्बे नेचर हिस्ट्री सोसाइटी द्वारा वन विभाग के साथ मिलकर इस मिशन को अंजाम दिया जाएगा, ताकि विदर्भ के जंगलों में गिद्धों की संख्या में इजाफा हो सके।
कराई जाती है ब्रीडिंग
बता दें कि पूरे भारत में गिद्धों की संख्या तेजी से कम हो रही है। विदर्भ में पेंच के जंगलों में इनकी मौजूदगी है, लेकिन इनकी संख्या चिंताजनक है। बीएनएचएस (बॉम्बे नेचर हिस्ट्री सोसाइटी) पक्षियों पर शोध करती है। इनकी ओर से देश में 3 स्थानों पर गिद्धों की ब्रीडिंग भी कराई जाती है। इसी संस्था द्वारा अगले महीने में लॉग बील व वाइट डैक प्रजाति के गिद्धों को विदर्भ में लाया जाने वाला है। हरियाणा के पिंजोर से गिद्धों के 20 जोड़ों को लाकर पेंच, ताड़ोबा व कुछ गिद्धों को मेलघाट के जंगलों में छोड़ा जानेवाला है, ताकि जंगलों से लुप्त हो रहे गिद्धों की संख्या में तेजी से इजाफा हो सके।
रेस्क्यू किए गए गिद्ध पेंच में छोड़े गए
सोमवार को वन अधिकारियों की मौजूदगी में पेंच में दो गिद्धों को निसर्गमुक्त किया गया। इन गिद्धों का रेस्क्यू गोंदिया व नागपुर के पास कापसी गांव से किया गया था। डीहाइड्रेशन के शिकार इन गिद्धों को सेमिनरी हिल्स के टीटीसी में रखा गया था, जहां उपचार के बाद इन गिद्धों को पेंच में छोड़ा गया। पेंच में पहले से गिद्धों की मौजूदगी है। ऐसे में यह गिद्धों पेंच क्षेत्र से भटककर आने की संभवना मानी जा रही है।
गिद्ध मुक्त कार्यक्रम का आयोजन
सिल्लारी के अमलतास पर्यटन संकुल में गिद्ध मुक्त कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम के अध्यक्ष अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक, वन्यजीव डॉ. प्रविण चव्हाण, पेंच क्षेत्र संचालक डॉ. प्रभुनाथ शुक्ला, वरिष्ठ संशोधक सौरभ रुहेल आदि मौजूद थे। इस दौरान मानद वन्यजीव रक्षक कुंदन हाथे की ओर से गिद्धों को लेकर लोगों का मार्गदर्शन भी किया। गिद्धों को जंगल में छोड़ते ही उन्होंने तुरंत उड़ान भर ली। इस अवसर पर विजय गंगावणे सहायक वनसंरक्षक, विवेक राजूरकर वनपरिक्षेत्र अधिकारी पूर्व पेंच, पशु वैद्यकीय अधिकारी, डॉ. रोहिणी टेंभुर्णे, डॉ. सुदर्शन काकडे, डॉ. राजेश फुलसंगे व पूर्व पेंच पिपरिया वन परिक्षेत्र के सभी अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे।
Created On :   7 Sept 2023 6:47 PM IST