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गैर-अनुदानित कॉलेज के शिक्षकों को दें 7वां वेतन आयोग का लाभ
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने स्थायी गैर-अनुदानित निजी इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षकों को भी 7वें वेतन आयोग के अनुसार वेतन का लाभार्थी माना है। अपने फैसले में हाई कोर्ट ने लोकमान्य तिलक जनकल्याण शिक्षा संस्थान द्वारा संचालित प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग हिंगना को सहायक प्राध्यापक रुतेश लोणकर, विवेक बरवट और अश्विनी गावर्ले को 7वें और 6वें वेतन आयोग का लाभ देकर बकाया राशि भी जारी करने को कहा है। हाई कोर्ट ने प्रदेश उच्च व तकनीकी शिक्षा संचालनालय को प्रदेश सरकार के नियमों के अनुसार याचिकाकर्ताओं की बकाया राशि तय करने का आदेश दिया है।
यह है मामला : याचिकाकर्ताओं के अनुसार, वे उक्त कॉलेज में सहायक प्राध्यापक पद पर कार्यरत हैं। वे संस्थान द्वारा विविध समय पर जारी पदभर्ती विज्ञापन के तहत नियुक्ति की सभी शर्तें पूरी करते हुए नौकरी पर लगे हैं। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, महाराष्ट्र उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने 6वें वेतन आयोग की सिफारिश को स्वीकार करके विश्वविद्यालय और संलग्नित कॉलेज शिक्षकों के लिए इसे लागू किया था। इसी के तहत कॉलेज में अब 7वां वेतन आयोग लागू होना चाहिए। 11 सितंबर 2019 को महाराष्ट्र सरकार ने इसे प्रदेश में लागू किया। नागपुर विश्वविद्यालय ने भी इन सिफारिशों को स्वीकार करके लागू कर दिया। बावजूद इसके याचिकाकर्ताओं को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार ग्रेड पे, डीए, एचआरए और सीआईए जैसे लाभ नहीं मिले। याचिका में दलील दी गई कि यह लाभ प्रदेश में संचालित सभी अनुदानित और गैर अनुदानित कॉलेज के शिक्षकों के लिए भी लागू होने चाहिए।
हाई कोर्ट का फैसला : इस याचिका पर राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में दलील दी कि याचिकाकर्ताओं का कॉलेज एक निजी गैर-अनुदानित कॉलेज है, जिसकी सेवा शर्तें राज्य सरकार के नियमों के तहत संचालित नहीं होती। बल्कि शुल्क नियामक प्राधिकरण के अनुसार इन कॉलेजों की फीस यहां तक कि शिक्षकों का वेतन भी नियंत्रित होता है। राज्य सरकार द्वारा स्वीकार किए गए 6वें और 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें केवल अनुदानित कॉलेजों के लिए लागू है। वहीं शिक्षा संस्था ने हाई कोर्ट में अपना जवाब पेश किया, जिसमें उन्होंने कोर्ट को बताया कि कोरोना काल के दौरान वे कुछ समय के लिए शिक्षकों को पूर्ण वेतन देने में असमर्थ थे। कुछ शिक्षकों ने इस परिस्थिति में संस्था का सहयोग किया, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने सहयोग नहीं किया। वहीं, चूंकि संंबंधित कॉलेज एक निजी अनुदानित कॉलेज है, इसलिए उसकी सेवा शर्तें और वेतन तय करने के अधिकार शिक्षा संस्था को ही है। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने यह फैसला दिया है।
Created On :   4 Aug 2023 3:48 PM IST