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Nagpur News: साथी पोर्टल- कृषि बीज की बिक्री अनिवार्य, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के एकाधिकार का खतरा-संचालकों में नाराजगी

- बहुराष्ट्रीय कंपनियों के एकाधिकार का खतरा
- केंद्र सरकार महाराष्ट्र में चला रही है पायलट प्रोजेक्ट
- कपास बीज की बिक्री में गिरावट
Nagpur News. कृषि बीज उत्पादक से लेकर किसान तक पहुंचाने की श्रृंखला में हर चीज का पंजीकरण करने केंद्र सरकार ने साथी पोर्टल लांच किया है। इसमें कृषि सेवा केंद्र संचालकों को पोर्टल पर पंजीकरण करने के बाद ही किसानों को बीज बेचने की सख्ती की गई है। केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में यह पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसमें बहुराष्ट्रीय कंपनियों का एकाधिकार बढ़ने का खतरा बताया जाता है। साथी पोर्टल से संपूर्ण डेटा संकलन कर बहुराष्ट्रीय कंपनियां बाजार पर कब्जा जमा लेंगी। ऐसे में छोटी कंपनियों को इस स्पर्धा में टिक नहीं पाने की चिंता सता रही है।
पंजीयन की जटिल प्रक्रिया
कृषि सेवा केंद्र संचालकों को साथी पोर्टल पर बीज की विस्तृत जानकारी अपलोड किए बिना किसान को बेचने से मना किया है। इसमें कपास और अन्य बीज के लिए अलग-अलग पंजीयन करना अनिवार्य है। साथी पोर्टल पर किसान का नाम, पूरा पता, बीज की थैली पर लगे लेबल पर लिखी संपूर्ण जानकारी अपलोड करनी पड़ती है। उसकी कृषि सेवा केंद्र संचालक को मैन्यूअल रजिस्टर में एंट्री करना अनिवार्य है। यह प्रक्रिया काफी जटिल हाेने से कृषि सेवा केंद्र संचालकों में भी नाराजगी है।
कपास बीज की बिक्री में गिरावट
साथी पोर्टल पर बीज बिक्री की सख्ती करने पर अधिकृत कृषि सेवा केंद्रों से कपास बीज की बिक्री में 50% गिरावट आने की जानकारी है। धीरे-धीरे किसानों का रुझान कृषि सेवा केंद्रों से घटकर सहजता से जहां बीज मिल सकता है, उस ओर बढ़ रहा है। एजेंटों के माध्यम से प्रतिबंधित बीटी कपास बीज की धड़ल्ले से हो रही बिक्री सबसे बड़ा उदाहरण है।
अवैध एजेंटों की सक्रियता बढ़ेगी
बुआई के समय किसानों के पास समय कम रहता है। कृषि सेवा केंद्रों में घंटों कतार में खड़ा रहकर समय बर्बाद करने की किसानों की मानसिकता नहीं रहती। मौके का फायदा उठाने की ताक में अवैध एजेंट सक्रिय हो जाते हैं। सीधे गांव-गांव जाकर एजेंट किसानों को अपने जाल में फंसाकर उन्हें बीज थमा देते हैं। इसमें नकली बीज किसानों थमाकर ठगे जाने का खतरा ज्यादा है।
Created On :   28 Sept 2025 8:59 PM IST