एक पेड़ का 1 रुपया नहीं 150 रुपए मुआवजा दें

एक पेड़ का 1 रुपया नहीं 150 रुपए मुआवजा दें
38 साल बाद सुलझा जमीन अधिग्रहण विवाद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने शहर के मौजा परसोडी में कॉटन रिसर्च इंस्टीट्यूट बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1985 में अधिगृहीत 5.21 हेक्टेयर जमीन के मुआवजे के विवाद पर फैसला दिया है। ऐसे में बीते 38 साल से विविध स्तरों पर विचाराधीन इस प्रकरण का अंतत: निपटारा हो गया है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता सुखदेव देऊलकर को 2.25 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर व जरूरी ब्याज के मुआवजे का हकदार माना है। साथ ही सुबबूल के पेड़ों के बदले उन्हें करीब 4 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया है। राज्य सरकार को मुआवजे की यह राशि 2 माह के भीतर याचिकाकर्ता को अदा करने का आदेश हाई कोर्ट ने जारी किया है।

यह है मामला : याचिकाकर्ता के अनुसार, उनकी मौजा परसोडी में खेती थी। 1 अप्रैल 1985 को राज्य सरकार ने यहां कॉटन रिसर्च इंस्टीट्यूट बनाने के लिए याचिकाकर्ता की 5.21 हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत की। 4 अप्रैल 1987 को राज्य सरकार ने मुआवजे की अधिसूचना जारी की, जिसके अनुसार याचिकाकर्ता को 26 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर जमीन के और 1 रुपए प्रति सुबबूल के पेड़ का मुआवजा देने का फैसला हुआ। याचिकाकर्ता ने इससे असंतुष्ट होकर दीवानी न्यायालय में मुकदमा दायर किया। 9 अप्रैल 2001 को दीवानी न्यायालय ने अपने फैसले में याचिकाकर्ता का मुआवजा बढ़ा कर 1.75 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर और 2800 सूबबूल के पेड़ों के लिए 5.60 लाख रुपए का मुआवजा तय किया।

राज्य सरकार ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की। हाई कोर्ट ने दोबारा इस मामले को निचली अदालत के समक्ष भेजा। अब निचली अदालत ने याचिकाकर्ता को 1.50 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर जमीन के मुआवजे का हकदार माना, लेकिन पेड़ों के बदले कोई मुआवजा नहीं देने का फैसला लिया। याचिकाकर्ता ने इस फैसले को दोबारा हाई कोर्ट में चुनाैती दी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी कि वर्तमान में अत्याधिक विकसित इस क्षेत्र में आज कई बड़े अस्पताल, औद्योगिक इकाइयां और एयरपोर्ट तक बन चुका है। वर्धा रोड से इसकी दूरी भी महज 5 किलोमीटर की है। वर्ष 1985 में जब याचिकाकर्ता को अधिग्रहण के बदले 26 हजार प्रति हेक्टेयर का मुआवजा दिया गया, तब जमीन का बाजार मूल्य 1 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर था। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की इस दलील पर भी गौर किया कि जिन सुबबूल के पेड़ों का मुआवजा नकारा गया है, वे काफी विकसित और लंबे पेड़ थे। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है।

Created On :   4 Aug 2023 3:42 PM IST

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