सरकारी फैसला: राज्य के शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी से नहीं मिलेगी किसी तरह की राहत

राज्य के शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी से नहीं मिलेगी किसी तरह की राहत
  • टीचरों पर गैर-शैक्षणिक कामों को करना अब नहीं किया जा सकेगा अनिवार्य
  • सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के कामों को किया विभाजित
  • सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग ने शासनादेश किया जारी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में लगातार मांग के बावजूद स्कूली शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी से राहत नहीं मिलेगी। राज्य सरकार ने शिक्षकों के चुनाव ड्यूटी को अनिवार्य कामों की सूची में शामिल किया है। जिसमें शिक्षकों को स्थानीय निकाय, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव से जुड़ा काम करना बंधनकारक होगा। केंद्र सरकार के शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत शिक्षकों को दस साल में एक बार होने वाली जनगणना और आपदा निवारण का काम भी करना होगा। हालांकि शिक्षकों पर अब गैर-शैक्षणिक कामों के लिए सरकार का कोई भी विभाग अनिवार्य नहीं कर सकता है। सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग ने एक शासनादेश के जरिए शैक्षणिक, गैर- शैक्षणिक काम और अनिवार्य कामों को विभाजित किया है। जिसमें शिक्षकों को सरकार द्वारा तय पाठ्यक्रमों को पढ़ाने, नई शिक्षा नीति के तहत अध्यापन, छात्रवृत्ति की कक्षा 5 वीं और 8 वीं परीक्षा की तैयारी कराना, अत्याधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल, बच्चे की ट्रैकिंग, समग्र रिपोर्ट कार्ड को नियमित अपेडट करना आदि काम करना होगा।

ये काम अब होंगे गैर-शैक्षणिक

सरकार ने गैर-शैक्षणिक कामों में विभिन्न 12 कार्यों को शामिल किया है। जिसमें गांवों में स्वच्छता अभियान, खुले में शौच से मुक्त अभियान, प्रत्यक्ष चुनाव के काम के अलावा नियमित चलने वाले चुनावी काम, गरीबी रेखा के ऊपर जीवनयापन करने वाले परिवारों का सर्वे, पशु सर्वेक्षण समेत अन्य काम, स्कूल के काम के अतिरिक्त दूसरे विभागों की जानकारी जुटाकर एप में पंजीकृत करने, शिक्षा विभाग के कामों के अलावा दूसरे सरकारी विभागों से दिए जाने वाले काम अब गैर-शैक्षणिक होंगे। शिक्षा विभाग से संबंधित नहीं कामों और डाटा एंट्री के कामों को भी गैर-शैक्षणिक कार्य में शामिल किया गया है। इससे सरकार के विभिन्न विभाग शिक्षकों पर गैर-शैक्षणिक काम करने के लिए दबाव नहीं डाल सकेंगे।

सरकार ने गठित की थी समिति

सरकार का कहना है कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत प्राथमिक कक्षाओं के शिक्षकों के लिए साल में कम से कम 200 दिन और उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए 220 दिन अध्यायन करना अनिवार्य है। इसके बावजूद शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक काम दिए जा रहे थे। इससे शिक्षकों को पढ़ाने के काम में बाधा पैदा हो रही थी। जिस पर विभिन्न शिक्षक संगठनों और विधायकों ने शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक काम न देने की मांग की थी। इसके मद्देनजर साल 2023 में स्कूली शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव की अध्यक्षता में समिति बनाई गई थी। इस समिति की रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक और अनिवार्य कामों को विभाजित कर दिया है।

शिक्षा मंत्री शासनादेश में संशोधन करने की मांग करेंगे

हम लोगों ने राज्य सरकार से शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी में छूट देने की मांग की थी। लेकिन सरकार के नए शासनादेश में शिक्षकों चुनावी ड्यूटी अनिवार्य किया गया है। इसलिए हम लोग जल्द ही स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर से मिलकर शासनादेश में संशोधन करने की मांग करेंगे। -अनिल बोरनारे, अध्यक्ष- मुंबई मुख्याध्यापक संगठन (उत्तर विभाग)


Created On :   24 Aug 2024 9:07 PM IST

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