राहत...: 107 गांवों के भूगर्भ जलस्तर में सुधार

107 गांवों के भूगर्भ जलस्तर में सुधार
1500 फीट तक नीचे पहुंच गया था जलस्तर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले के संतरा उत्पादक क्षेत्र में बरसों से जलदोहन के चलते स्थिति बेहद खराब हो गई थी। इन इलाके में संतरे की फसल को सिंचाई के लिए लगातार बोरवेल की खुदाई होती रही है, लेकिन जल संवर्धन और व्यवस्थापन को लेकर कोई भी प्रयास नहीं हुआ। ऐसे में काटोल और नरखेड़ में भूगर्भ जलस्तर के 1500 फीट तक पहुंचने से स्थिति बेहद खतरनाक हो गई थी। पांच साल पहले केन्द्र सरकार की ओर से देश भर में सर्वेक्षण होने के बाद दोनों तहसीलों के लिए तत्काल उपाय योजना का निर्देश दिया गया था। साल 2021 में भूगर्भ जलसंवर्धन यंत्रणा की ओर से दोनों तहसीलों के अतिशोषित क्षेत्रों में शुमार गांवों के लिए अटल भूजल योजना में शामिल किया गया। स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से नागरिकों में जनजागरण, जलसंवर्धन योजना क्रियान्वयन आरंभ किया गया।

दो साल की लगातार मेहनत के चलते अब इन गांवों में स्थिति में सुधार आया है। हाल ही में केन्द्र सरकार की ओर से सर्वेक्षण में गांवों को अतिशोषात क्षेत्र की सूची से निकाला गया है। उपाय योजना से अब उम्मीद की किरण जिले में अटल भूजल योजना में अनेक उपाय योजना के साथ ही स्थानीय नागरिकों में जलसंवर्धन को लेकर जनजागरण आरंभ किया गया है। उपाय योजना के तहत कुएं के पुनर्भरण, बरसाती पानी को रिचार्ज सॉफ्ट से संवर्धन, खेती के लिए सूक्ष्म सिंचन पद्धति (ड्रीप इरिगेशन), जलसंवर्धन को आरंभ किया गया है। इसके साथ ही प्राकृतिक जलस्रोतों की सफाई को भी आरंभ किया गया है। पिछले दो सालों में उपाय योजना और नागरिकों के सहयोग से स्थिति में सकारात्मक सुधार संभव हो पाया है।

ड्राइ जोन के बारे में जानें

नदी और बड़े नाले वाले सिंचित क्षेत्रों में लगातार खुदाई और जलदोहन होने से भूगर्भ जल स्तर में कमी होती है। बोरवेल समेत अन्य स्रोत के लिए खुदाई में भूगर्भ जलस्तर 70 से 90 फीसदी तक होने पर आंशिक शोषित क्षेत्र में शामिल हो जाते हैं, जबकि 90 से 100 फीसदी तक दोहन वाले क्षेत्र को शोषित श्रेणी में शुमार होता है। लगातार बोरवेल खुदाई के चलते 100 फीसदी से अधिक नीचे तक भूगर्भ स्तर पहुंच जाने पर अतिशोषित यानि ड्राई श्रेणी में क्षेत्र को चिन्हित किया जाता है। जिले के नरखेड़ और काटोल तहसील में 71 ग्राम पंचायतों अंतर्गत 107 गांवों में अतिशोषित स्थिति पहुंच गई थी। संतरा उत्पादक क्षेत्र होने के चलते साल 2000 से लगातार बोरवेल खुदाई होने और जलसंधारण की अनदेखी से इन गांवों में भूगर्भ जल स्तर बेहद कम हो गया है।

अब संतोष जनक स्थिति

जिले के करीब 107 गांव बेहद खतरनाक स्थिति में शामिल थे। पिछले दो सालों में लगातार प्रयास से भूगर्भ जलस्तर में सुधार होने से अब सुरक्षित श्रेणी में आ गए हैं। केन्द्र सरकार ने भी इन गांवों की स्थिति को लेकर संतोष जताया है। अब इन गांवों में भूगर्भ जलस्तर को बढ़ाने के लिए किसानों ने ड्रीप इरिगेशन पद्धति को अपनाना चाहिए। -डॉ वर्षा माने, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक, भूगर्भ जलसंवर्धन यंत्रणा

Created On :   12 Sept 2023 2:33 PM IST

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