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11 साल तक चला मुकदमा, 7 दिन की जेल
डिजिटल डेस्क, नागपुर। तेज रफ्तार बाइक और उससे होने वाले सड़क हादसे यूं तो रोजमर्रा के मामले लगते हैं, लेकिन यह जरा सी लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है, यह बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में आए एक प्रकरण में देखने को मिला। इस पूरे मामले में आरोपी को न केवल 7 दिन जेल की हवा खानी पड़ी, बल्कि 11 साल तक मुकदमा लड़ने के लिए कोर्ट के चक्कर काटने पड़े। अंतत: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने आरोपी पर 28 हजार रुपए जुर्माना लगा कर मामले का निपटारा किया है।
यह है मामला : यह प्रकरण 7 फरवरी 2012 का है। पीड़ित यशवंत चौधरी ने वर्धा पुलिस में शिकायत दी कि रात 9.30 बजे के करीब वे अपने मित्र को लेने स्थानीय तहसील कार्यालय गए थे, तब ही तेज रफ्तार बाइक चला रहे अविनाश किटे ने उन्हें टक्कर मार दी। इस हादसे में फरियादी को दाहिने हाथ पर गंभीर चोटें आई। इसके बाद भी बाइक सवार का मन नहीं भरा, तो उसने पीड़ित से विवाद किया और गालियां भी दी। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भादवि 279, 337, 504 और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया। वर्धा जेएमएफसी न्यायालय ने बाइक सवार को दोषी करार देकर 4 माह की जेल और 3 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। वर्ष 2016 में सत्र न्यायालय ने भी यह फैसला कायम रखा। मामले में बाइक सवार को 7 दिन की जेल भी काटनी पड़ी। अंतत: उसने हाई कोर्ट की शरण ली। हाई कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद यह तो माना कि बाइक सवार का दोष सही सिद्ध हुआ है। लेकिन इतने वर्षों में परिस्थितियां इतनी बदल गई हैं कि उसकी सजा में भी परिवर्तन होना चाहिए। क्योंकि याचिकाकर्ता करीब 11 वर्षों से इस मामले में अदालतों के चक्कर काट रहा है।
यह सजा सही : हाई कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनकर माना कि इतने वर्षों से लंबित इस प्रकरण में आरोपी द्वारा काटी गई 7 दिन की जेल की सजा काफी है, लेकिन 3 हजार रुपए का जुर्माना बहुत कम है। याचिकाकर्ता को और 25 हजार रुपए यानी कुल 28 हजार रुपए पीड़ित को मुआवजे के तौर पर देने होंगे। एक माह में यह रकम नहीं अदा करने पर याचिकाकर्ता को 2 माह की जेल काटनी होगी।
Created On :   30 Jun 2023 3:13 PM IST