खतरा: गैस एजेंसी आवंटन और सिलेंडर रीफिलिंग के नाम पर ठगी

गैस एजेंसी आवंटन और सिलेंडर रीफिलिंग के नाम पर ठगी
गैस सिलेंडर रीफिलिंग व्यवस्था में ऑनलाइन ट्रांसफर को ओटीपी से जोड़ा

डिजिटल डेस्क, नागपुर । उपराजधानी में गैस एजेंसी आवंटन और सिलेंडर रीफिलिंग के नाम पर ठगी को अंजाम दिया जा रहा है। ओटीपी की जानकारी होने से नागरिक अब सीधे तौर पर ठगी में नहीं फंस पा रहे हैं। ऐसे में अब साइबर अपराधियों ने फर्जी विज्ञापन देकर गैस एजेंसी देने का फंडा अपनाया है। ऐसे ही एक मामले में धरमपेठ के युवक से 2 सप्ताह पहले करीब 3 लाख रुपए प्रोसेसिंग फीस के बहाने ठग लिए गए है। वहीं, दूसरी ओर साइबर ठगी के पैसों को वॉलेट और अन्य खातों में ट्रांसफर करने के लिए भी गैस रीफिलिंग की बुकिंग का सहारा लिया जा रहा है। पिछले साल भर में ऐसे करीब 20 से अधिक मामलों में ठगी हो चुकी है, लेकिन साइबर पुलिस तक शिकायत नहीं दर्ज कराई गई है। हालांकि ऐहतियात के तौर पर केन्द्र सरकार ने गैस रीफिलिंग की बुकिंग को ओटीपी व्यवस्था से जोड़ा है, लेकिन साइबर पुलिस के मुताबिक गैस बुकिंग की राशि को नगदी स्वरूप में देकर सुरक्षा की जा सकती है।

साइबर अपराधी ठगी की रकम को बैंक खातों में ट्रांसफर करने के लिए गैस बुकिंग प्रक्रिया को इस्तेमाल कर रहे हैं। झारखंड, जामताड़ा, दिल्ली, नोएडा, राजस्थान समेत छत्तीसगढ़ के साइबर अपराधी गिरोह में ठगी के लिए गैस सिलेंडर बुकिंग करते हैं। इंडिटैब ऐप के माध्यम से गैस एजेंसी में एक साथ कई सिलेंडरों की बुकिंग कर दी जाती है। सिलेंडरों की रीफिलंग के लिए ऑनलाइन पैसों को ट्रांसफर किया जाता है। क्लोन कार्ड से पेमेंट ट्रांसफर कर कुछ समय के बाद बुकिंग को रद्द कर वॉलेट खातों में पैसों को ट्रांसफर किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में साइबर पुलिस को वॉलेट सेवा प्रदाता से संपर्क कर जानकारी लेने तक में पैसा खातों से खाली कर लिया जाता है।

देश भर में रसोई गैस सिलेंडर को लेकर उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई मर्तबा एजेंसी के कर्मचारी घरेलू सिलेंडर को अपने करीबी उपभोक्ताओं के नाम पर बुकिंग कर व्यावसायिक सिलेंडर के स्थान पर बिक्री कर डालते थे। ऐसे में केन्द्र सरकार ने घरेलू सिलेंडर बुकिंग प्रक्रिया को ऑनलाइन व्यवस्था जोड़ा है। उपभोक्ता के रजिस्टर्ड माेबाइल नंबर से बुकिंग करने पर वनटाइम पासवर्ड भेजा जाता है। इस ओटीपी के आधार पर ऑनलाइन भुगतान में सिलेंडर बुकिंग से डिलीवरी तक की पूरी जानकारी उपभोक्ता को एसएमएस अलर्ट के जरिये मिलती है। इस पूरी व्यवस्था को इम्पीलिमेंट डिलीवरी आथेंटिकेशन कोड (डेक) के रूप में पहचाना जाता है। इस व्यवस्था की बदौलत साइबर ठगी से भी सुरक्षा संभव हुई है। डेक प्रणाली को प्रायोगिक तौर पर राजस्थान के जयपुर में क्रियान्वित करने के बाद देश भर में 100 स्मार्ट सिटी में लागू किया गया था। अब देशव्यापी व्यवस्था कर दी गई है।

तीन चरण में जानकारी : एचपी समेत देश भर की घरेलू गैस प्रदाता कंपनी ने देशव्यापी मोबाइल क्रमांक को जारी कर दिया है। इस मोबाइल क्रमांक पर उपभोक्ता क्रमांक को डालने के बाद डिलीवरी के दौरान नगदी भुगतान अथवा आनलाइन पेमेंट का विकल्प मांगा जाता है। ऑनलाइन भुगतान के लिए उपभोक्ता के रजिस्टर्ड मोबाइल पर ओटीपी आता है। इस ओटीपी को साझा करने के बाद बुकिंग, बिल तैयार होने और बिल भुगतान कर सिलेंडर पाने तक की तीन मर्तबा मैसेज के माध्यम से जानकारी मिलती है। ऐसे में साइबर ठगी से भी छुटकारा मिल जाता है।

Created On :   3 Oct 2023 2:33 PM IST

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