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बस हादसे में घायल शख्स को 13.15 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश
- कोर्ट ने कहा - ‘दुर्घटना छीन लेती है जीने का आनंद’
- मुआवजा पीड़ित के जख्मों पर मरहम जैसा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा है कि सड़क हादसे में घायल व्यक्ति की चोट को देखते हुए नहीं, बल्कि उस चोट के बाद उसके जीवन में आने वाली तकलीफों को देखते हुए मुआवजा निर्धारित किया जाना चाहिए। दुर्घटना में लगी चोट व्यक्ति के जीवन जीने के आनंद को खत्म कर देती है, साथ ही उसकी आजीविका पर भी प्रभाव डालती है। हालांकि कोई भी मुआवजे की राशि व्यक्ति के शरीर को पहले की तरह स्वस्थ तो नहीं कर सकती, लेकिन यह जख्मों पर मरहम जैसा होता है। प्राधिकरणों को मुआवजा तय करते वक्त इस ओर ध्यान देना चाहिए। इस निरीक्षण के साथ हाई कोर्ट ने बस हादसे में घायल अब्दुल सत्तार को 13.15 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को दिया है।
हादसे में 75 प्रतिशत दिव्यांगता : दर्ज मामले के अनुसार, याचिकाकर्ता 11 नवंबर 2002 को नागपुर से हैदराबाद तक निजी बस से यात्रा कर रहे थे। तेज रफ्तार बस घाट सांवली के पास पलट गई। अन्य यात्रियों के साथ याचिकाकर्ता भी इसमें बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें 75 प्रतिशत दिव्यांगता हो गई। मोटर एक्सिडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने इंश्योरेंस कंपनी को पीड़ित को 5.81 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया। इसे बहुत कम मानते हुए याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट की शरण ली। मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है।
Created On :   7 Jun 2023 11:16 AM IST