जीते जी मिलने नहीं आए, मरने के बाद भी नहीं ले गए मृत देह

जीते जी मिलने नहीं आए, मरने के बाद भी नहीं ले गए मृत देह
अपने हुए पराये...

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिंदगी के आखिरी दिन कैसे बीतेंगे, कहा नहीं जा सकता। कभी अपने पराए हो जाते हैं, तो कभी पराए अपने। मेडिकल में एक ऐसा अज्ञात मरीज लाया गया, जिसे अंतिम चरण का मुख कैंसर होने के बारे में पता चला। चंद दिनों के बाद इस मरीज की एक सेवाभावी संस्था में मृत्यु हो गई। भर्ती होने के बाद इस मरीज के परिजनों का पता लगाया गया। पता चला कि, इस मरीज को पत्नी समेत तीन बेटे और दो बेटियां हैं। मरीज ने जीते जी इनसे मिलने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन कोई आने को तैयार नहीं हुआ। मरने के बाद जब सूचना दी गई, तो परिजनों ने मृतदेह ले जाने से इनकार कर दिया।

जानकारी जुटायी, तब पता चला परिजनों का

करीब 15 दिन पहले मेडिकल के कैंसर रोग विभाग के वार्ड क्र.-85 में 72 साल का एक वृद्ध मरीज उपचार के लिए लाया गया था। मरीज को अंतिम चरण का मुंख कैंसर हुआ था। जांच में पता चला कि, मरीज उपचार के लायक नहीं रहा। उसका अंतिम समय निकट आ चुका था। उसके अंतिम दिनों में सेवा के लिए सामाजिक कार्यकर्ता इंद्राणी पवार के माध्यम से स्नेहांचल सेवाभावी संस्था में उसे भेजा गया। करीब 15 दिन तक यह मरीज रहा और सोमवार को उसकी मृत्यु हो गई। इन 15 दिनों में जब मरीज के बारे में पारिवारिक जानकारी जुटायी गई, तब पता चला कि, उसे परिजनों ने लावारिस छोड़ दिया है।

उपचार नहीं, इसलिए सेवाभावी संस्था में रखा

सामाजिक कार्यकर्ता इंद्राणी पवार, सेवा फाउंडेशन के राज खंडारे और पुरुषोत्तम भोसले के अनुसार यह मरीज यवतमाल में लावारिस अवस्था में मिला था। उसे वहां के सरकारी अस्पताल में उपचार के भर्ती कराया गया था। जांच में मरीज को कैंसर होने का पता चला,तो उसे नागपुर के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) में भेजा गया। यहां अलग-अलग जांच के बाद उसे कैंसर रोग विभाग में जांच के लिए भेजा गया। बायोप्सी में पता चला कि, वह अंतिम चरण के मुख कैंसर से पीड़ित है, और उपचार का असर नहीं हो सकता। उसे सेवाधारियों की आवश्यकता थी। विभाग ने इंद्राणी पवार के माध्यम से स्नेहांचल सेवाभावी संस्था में उसे भेजा गया। यहां टीम ने मरीज की अंतिम समय तक सेवा की।

पत्नी, दो बेटे व दो बहनें, सभी भोपाल में रहते हैं : यह मरीज मूलत: जालना के भोकरधन स्थित सावंगी दाबाड़ा निवासी था। उसका नाम बाबुराव नरवाड़े-काले है। उसके परिवार में पत्नी समेत तीन बेटे व दो बेटियां हैं। एक बेटे की मौत हो चुकी है। कुछ साल पहले पत्नी अपने बच्चों को लेकर चली गई थी। अब यह परिवार भोपाल में रहता है। इसके अलावा बाबूराव को दो बहन भी हैं। यह जानकारी बाबूराव के चचेरे भाई शालिकराम नरवाड़े ने सेवा में लगे लोगों को दी।

परिवार से मिलने की इच्छा जताई थी

चूंकि, बाबूराव ने जीते जी एक बार परिजनों से मिलने की इच्छा जताई थी, इसलिए इंद्राणी पवार ने बाबूराव की हालत के बारे में बताकर उसकी पत्नी, बहनों व अन्य परिजनों से एक बार मिलने की गुहार लगायी, लेकिन सभी ने नागपुर आने व मिलने से इनकार कर दिया। सोमवार को बाबूराव की मौत हो गई। मृत्यु के बाद भी परिजनों को सूचना दी गई, लेकिन मृतदेह ले जाने के लिए आने को कोई तैयार नहीं हुआ। घटना की जानकारी अजनी पुलिस थाने में दी गई। पुलिस की अनुमति के बाद इंद्राणी पवार व राज खंडारे व अन्य लोगों ने मिलकर बाबूराव की अंत्येष्टि की।

Created On :   4 Aug 2023 3:57 PM IST

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