‘कल्चरल मार्क्सवाद' समाज के लिए खतरनाक

‘कल्चरल मार्क्सवाद समाज के लिए खतरनाक
'Cultural Marxism' is dangerous for society

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हाल के दिनों में भौतिक सुख की ओर ज्यादा रुझान बढ़ा है। समाज में कुछ स्वार्थी लोग यह उपदेश देकर कि बाकी सब कुछ इसके अधीन है और इसे दर्शन का जामा पहनाकर दावा करते हैं कि यह सही बात है। कदाचार को कल्चरल मार्क्सवाद जैसे प्यारे-प्यारे नाम देकर उचित ठहराया जाता है। यह बात समाज की दृष्टि से घातक है। यह प्रतिपादन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने किया। वरिष्ठ नागरिक महामंडल विदर्भ द्वारा आयोजित स्नेह मिलन समारोह में वे बोल रहे थे।

जानबूझकर समाज पर थोप रहे : सुरेश भट सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष प्रा. देशपांडे, सचिव एड. अविनाश तेलंग उपस्थित थे। डॉ. भागवत ने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर नकारात्मक दर्शन को समाज पर थोपने का प्रयास करते हैं। जब समाज में भ्रष्टाचार और अराजकता बढ़ती है, तब ऐसे तत्व समाज में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास करते हैं। विभिन्न दर्शनों का हवाला देते हुए, वे मनुष्य में सकारात्मक और अच्छे गुणों को नष्ट करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ऐसे प्रयासों के कारण ही अनेक देशों में परिवार संस्था नष्ट हो रही है। हमारे देश के मूल्य आज भी कायम हैं।

सरसंघचालक ने कहा कि यह एक रहस्य है कि ज्येष्ठ शब्द के साथ असहायता का भाव क्यों जुड़ा हुआ है। वरिष्ठों का स्थान हर किसी के जीवन में अपूरणीय है। बुजुर्ग (म्हातरे) शब्द का मूल शब्द महत्व है, लेकिन उनमें निर्भरता की सीमा थी। हमारी परंपरा में बुजुर्गों के पराक्रम के उदाहरण मौजूद हैं।

सम्मानित किए गए शिक्षक : हमारी संस्कृति और जीवन का अर्थ बुजुर्गों से अगली पीढ़ी तक हस्तांतरित होता है। इस सोच को अगली पीढ़ी तक पहुंचाया जाना चाहिए। बुजुर्ग न केवल जीने, बल्कि मानवीय जीवन जीने की कला को भी ट्रांसफर करते हैं। इस अवसर पर 80 वर्ष से अधिक आयु वाले शिक्षकों को सम्मानित किया गया।

Created On :   6 Sept 2023 2:53 PM IST

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