महत्वाकांक्षी योजना: नाग-पीली-पोहरा नदी को नया जीवन देने के लिए जापानी कंपनी से कर्ज का करार, सवालों के घेरे में मंशा

नाग-पीली-पोहरा नदी को नया जीवन देने के लिए जापानी कंपनी से कर्ज का करार, सवालों के घेरे में मंशा
  • सवालों के घेरे में मंशा
  • जापानी कंपनी से कर्ज का करार
  • नाग नदी प्रकल्प में पर्यावरणविदों की समिति पर भारी जिम्मेदारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर. शहर की नाग, पोहरा और पीली नदी पुनरुज्जीवन को लेकर लंबे समय से प्रयास हो रहे हैं। 1,926.97 करोड़ का प्रोजेक्ट भी बनाया गया है, लेकिन फिलहाल उसके उद्देश्य पर ही सवालिया निशान लग गए हैं। कारण, प्रकल्प की निगरानी के लिए बनाई गई पर्यावरण विशेषज्ञों की समिति की सूची में उल्लेखित दो नाम हैं। दरअसल, जापान की जिका कंपनी के सहयोग से दीर्घ समयावधि का कर्ज लेकर प्रकल्प को पूरा करना है। तीन साल पहले मनपा ने अपने सेवानिवृत्त कनिष्ठ अभियंता मोहम्मद इजराइल को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है, जिन्होंने प्रकल्प की निगरानी के पर्यावरण विशेषज्ञों की समिति की सूची मनपा के पीएचई विभाग की प्रमुख डॉ. श्वेता बनर्जी को दी थी। इस सूची को मंजूरी के लिए राज्य सरकार को भेजा गया था। हाल ही में राज्य सरकार ने सूची को मान्यता भी दी है।

इसलिए हो रही हैरानी : हैरानी यह है कि इस सूची में पर्यावरण विशेषज्ञ के रूप में दो निजी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने वाली कंपनी के आला अधिकारियों को शामिल किया गया है। लार्स एन्वायरो प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ डॉ. रमेश दर्यापूरकर और एमएमएस एन्वायरो कंपनी के निदेशक डॉ. किशोर मालवीय को सूची में शामिल करने को लेकर पीएचई की अधीक्षक अभियंता डॉ. श्वेता बनर्जी को भी पूरी जानकारी नहीं दी गई है। ऐसे में तीनों नदियों के संवर्धन के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की एसटीपी बनाने वाली कंपनियों के ही अधिकारियों को शामिल करने से प्रकल्प के उद्देश्य पर ही सवालिया निशान लग गए हैं। पूरे मामले में सलाहकार मोहम्मद इजराइल से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन मोहम्मद इजराइल ने कोई भी प्रतिसाद नहीं दिया है।

समिति में पर्यावरणविदों पर प्रश्नचिन्ह : समिति में पर्यावरणविद के रूप में शामिल लार्स एन्वायरो प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ डॉ. रमेश दर्यापूरकर और एमएमएस एन्वायरो कंपनी के निदेशक डॉ. किशोर मालवीय पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। दोनों कंपनियों की ओर से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाता है। नाग नदी के पुनरुज्जीवन के तहत भी सीवेज को ट्रीटमेंट करने की योजना बनाई गई है। भविष्य में प्रदूषण को कम करने के लिए निजी कंपनियों को एसटीपी बनाने के लिए ठेका दिया जाना है।

नाग नदी का होगा कायाकल्प

1,926.97 करोड़ की लागत से यह प्रोजेक्ट बनाया गया है। प्रोजेक्ट के लिए जापान इंटरनेशनल को-आपरेशन एजेंसी के माध्यम से कर्ज लिया जा रहा है। जिका की ओर से लंबी समयावधि के लिए केन्द्र और राज्य सरकार को कर्ज दिया जा रहा है। केन्द्र सरकार की ओर से 1,115.2 करोड़, राज्य सरकार से 507 करोड़ और स्थानीय निकाय के रूप में मनपा से 304.41 करोड़ रुपए की हिस्सेदारी होगी। प्रोजेक्ट में नाग नदी के साथ ही पोहरा और पीली नदी को भी शामिल किया गया है।

मुझे जानकारी नहीं

डॉ. श्वेता बनर्जी, अधीक्षक अभियंता, सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, मनपा के मुताबिक नाग नदी पुनरुज्जीवन के लिए पर्यावरण सलाहकार समिति का गठन राज्य सरकार ने हाल ही में किया है। सदस्यों की सूची प्रकल्प के सलाहकार मोहम्मद इजराइल ने दी थी। समिति में पर्यावरणविद के रूप में दो निजी कंपनी के अधिकारियों को शामिल करने को लेकर जानकारी नहीं है। पूरे मामले की जानकारी लेती हूं।

3 सालों के लिए बनाई गई समिति में मनपा आयुक्त डॉ. अभिजीत चौधरी, स्मार्ट सिटी में पर्यावरण विभाग की प्रोजेक्ट मैनेजर प्रणिता उमरेडकर के अलावा वीएनआईटी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ वसंतराव म्हैसालकर, नीरी के वैज्ञानिक डॉ. टी नंदी, मनपा के सेवानिवृत्त अधीक्षक अभियंता शशिकांत हस्तक और पर्यावरण विशेषज्ञ के रूप में डॉ. दीपांकर शोम, लार्स एन्वायरो प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ डॉ. रमेश दर्यापूरकर और एमएमएस एन्वायरो कंपनी के निदेशक डॉ. किशोर मालवीय को शामिल किया गया है। समिति को नि:शुल्क सलाह देने के साथ ही तीनों नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नियमावली को भी तैयार करना है। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय के साथ मनपा समेत अन्य विभागों से समन्वय भी करना है।

Created On :   18 Sept 2023 6:57 PM IST

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