प्रश्न पूछने में महिलाएं आगे: शीतसत्र: दोनों ओर से विविध विषयों पर ध्यान खींचने का प्रयास

शीतसत्र:  दोनों ओर से विविध विषयों पर ध्यान खींचने का प्रयास
किसान और आरक्षण का मुद्दा गरमाया

रघुनाथसिंह लोधी , नागपुर। विधानसभा में सत्तापक्ष व विपक्ष के सदस्य विविध विषयों पर ध्यान खींचने के प्रयास में दिखे। विपक्ष की आक्रामकता का दावा पूरा होता नहीं दिखा। किसान व आरक्षण के मुख्य मुद्दे पर तय समय में सरकार ने जवाब देने के वादे को पूरा नहीं किया। विपक्ष इस कसक के साथ हाथ मलता सा रह गया कि बहुमत के बल पर सत्तापक्ष मनमानी कर रहा है। कामकाज के लिहाज से देखा जाए तो पर्याप्त कार्यवाही हुई। दूसरे सप्ताह के पहले दिन से ही प्रतिदिन सुबह 9 बजे से विशेष चर्चा होती रही। राकांपा सदस्य नवाब मलिक की उपस्थिति को लेकर मामला गर्माने की आशंका भी निराधार रही। मलिक सभागृह में कम ही दिखे। इस बीच नए व महिला सदस्यों ने अवसर का भरपूर लाभ लिया। प्रश्न पूछनेवालों में दोनों पक्ष की महिला सदस्य आगे रहीं। विपक्ष के आक्रामक तेवर दिखाने के प्रयासों को महिला सदस्य बल देती दिखीं।

सत्तापक्ष में मनीषा चौधरी, देवयानी फरांदे, सरोज अहिरे तो विपक्ष में वर्षा गायकवाड़, यशोमति ठाकुर, प्रणिति शिंदे विविध मुद्दों पर सत्तापक्ष का कान खींचती रहीं। सत्र आरंभ होने के पहले ही दिन 56 हजार करोड़ की पूरक मांग सदन में रख दी गई। कैसीनो, अपार्टमेंट पुनर्विकास, विद्यापीठ सहित अन्य विषयों पर 5 विधेयक दूसरे सप्ताह के आरंभ में ही पारित करा लिए गए। इस बीच गोजातीय संबंधी विधेयक भी चर्चा के लिए लाया गया। विपक्ष ने दो बार सभात्याग किया। एक दिन किसान के मुद्दे पर तो एक दिन स्वास्थ्य सेवा को लेकर। मुद्दों को लेकर सभा स्थगित करने के मामले में विपक्ष पहले समान आक्रामक नहीं रहा। नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार से अधिक कांग्रेस सदस्य नाना पटोले बोलते नजर आए। अशोक चव्हाण व पृथ्वीराज चव्हाण का संयमी अंदाज कायम रहा। सप्ताह के आरंभ में गर्माया किसान का मुद्दा सप्ताहांत तक बहस तक सीमित रह गया। आरक्षण के विषय पर सभी सदस्यों ने यह आह्वान अवश्य किया कि समाज व राज्य का वातावरण स्वस्थ रखने में सभी योगदान दें। भाषा पर संयम रखंे। लेेकिन मराठा को लेकर अलग अलग तर्क भी दिये गए। यह अवश्य था कि सभी तर्क अध्ययनपूर्ण प्रतीत हुए। शेष महाराष्ट्र के मुद्दों के सामने विदर्भ के मुद्दों की अनदेखी सी रही। नागपुर के विधायक कम ही बोले। पहली बार पत्रकार दीर्घा भी चर्चा में आ गई। एक वरिष्ठ पत्रकार ने विदर्भ की अनदेखी का आरोप लगाया तो तालिका अध्यक्ष ने उस पत्रकार की जांच के निर्देश दे दिए। संसद में धुआं की घटना के बाद विधानमंडल में भी प्रवेश पत्र पर नियंत्रण की घोषणा की गई। लेकिन विधानभवन परिसर में भीड़ कम नहीं हुई।

Created On :   17 Dec 2023 8:21 AM GMT

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