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खतरा: नागपुर शहर उगल रहा सालाना 5 हजार मीट्रिक टन ई-कचरा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में प्रतिवर्ष 5 हजार मीट्रिक टन से अधिक ई-कचरा इकट्ठा हो रहा है। घरों, दफ्तरों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों से लेकर शहर में हर जगह ई-कचरा बिखरा हुआ है, जो प्रदूषण और कई तरह की बीमारी फैला रहा है। जिम्मेदार विभाग ई-कचरा निष्पादन के मामले में गंभीर नहीं है। ई-कचरा निष्पादन के लिए 3 एजेंसियों को अनुबंधित किया गया है, जिसमें से एक नागराज ई-वेस्ट द्वारा सालाना 1100 मीट्रिक टन व दूसरी सुरीटेक्स प्रा. लि. द्वारा सालाना 350 मीट्रिक टन ई-कचरे का निष्पादन करने का दावा किया जा रहा। तीसरी कंपनी ईको रिसेट प्रा. लि. को सालाना अधिकतम 9125 मीट्रिक टन ई-कचरे के निष्पादन की अनुमति महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा दी गई है, लेकिन कंपनी द्वारा ई-कचरा निष्पादन की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। इस प्रकार मात्र 1500 मीट्रिक टन ई-कचरे का ही निपटारा हो रहा है, जबकि 2 हजार मीट्रिक टन ई-कचरा कबाड़ियों के हाथ लग रहा है।
15 रुपए किलो खरीदा जाता है : ई-कचरा निष्पादन के लिए अनुबंधित कंपनियों द्वारा 15 रुपए प्रति किलो की दर से ई-कचरा खरीदा जाता है। कंपनियों द्वारा खराब इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को नष्ट करने तथा इनमें प्रयुक्त उपयोगी वस्तु-पदार्थ को पृथक करने के लिए विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है। उपकरणों में माैजूद रसायन लेड, बेरियम, फास्फोरस, टिन, सीसा, बेरीलियम, कैंडमियम, मरकरी आदि से कैंसर, फेफड़ों से संबंधित रोग, त्वचा रोग और कई तरह की बीमारियों का खतरा रहता है। इसे संज्ञान में लेते हुए ही ई-कचरे को नष्ट किया जाता है, जबकि कबाड़ियों को न तो ई-कचरे में मौजूद घातक तत्वों की जानकारी होती, न ही वे इन्हें नष्ट करने की प्रक्रिया की जानकारी रखते हैं। कबाड़ी ई-कचरे को जलाकर इससे धातु प्राप्त करते हैं। आग में जलकर यह रसायन व घातक तत्व वायुमंडल को विषाक्त कर देते हैं। इस प्रकार संतरानगरी की आबोहवा में लगातार जहर घोला जा रहा है।
Created On :   21 Sept 2023 3:31 PM IST