नौकरी से निकालने का फैसला रद्द

नौकरी से निकालने का फैसला रद्द
{राज्य सरकार ने किया था बर्खास्त

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सड़क हादसे में भाई की मृत्यु होने पर अपनी भाभी और भतीजे की देखभाल करने वाले एक जिला परिषद शिक्षक को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ से राहत मिली है। उसे नौकरी से निकालने के राज्य सरकार के फैसले को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद माना कि याचिकाकर्ता को बर्खास्त करने की कार्रवाई करने के पूर्व राज्य सरकार ने सभी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया, इसलिए बर्खास्तगी कानूनन अवैध है।

दुर्घटना में मृत्यु हुई : याचिकाकर्ता के बड़े भाई सरकारी सेवा में थे। वर्ष 1996 में उनका विवाह हुआ, लेकिन 4 वर्ष के बाद ही बड़े भाई की दुर्घटना में मृत्यु हो गई। उस वक्त भाई की बेटी महज कुछ माह पूर्व जन्मी थी। पति की मृत्यु के कारण याचिकाकर्ता की भाभी सदमे में थी। पति की जगह परिवार के किसी सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति देने की बारी आई, तो भाभी ने नौकरी स्वीकारने में असमर्थता जाहिर कर दी। ऐसे में देवर यानी याचिकाकर्ता को नौकरी देने की सिफारिश की। बदले में याचिकाकर्ता ने भाभी और भतीजी की देखभाल करने का वादा किया था।

शिकायत पर बर्खास्त किया : वर्ष 2004 में याचिकाकर्ता को इस शर्त पर शिक्षण सेवक पद पर नियुक्ति दी गई कि वह भाई के परिवार की देखभाल नहीं करेगा, तो उसकी नियुक्ति रद्द कर दी जाएगी। 2018 में एक सामाजिक कार्यकर्ता कि किसी शिकायत पर उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया, जिसके खिलाफ शिक्षक ने हाई कोर्ट की शरण ली। शिक्षक ने दलील दी कि वह अपनी भाभी और भतीजी की देखभाल कर रहा है। भतीजी पुणे में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है। सामाजिक कार्यकर्ता का कोई लेना-देना नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. पी. बी. पाटील और एड. विनय राठी ने पक्ष रखा।

Created On :   16 Aug 2023 10:44 AM IST

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