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Nagpur News: नृत्य और संगीत के भव्य उत्सव में देशभर के कलाकारों ने बांधा समां, दर्शकों का दिल जीता

- गुरुदेवो भव और शिष्य परंपरा पुरस्कार
- गुरुओं और विशेष कलाकारों को सम्मानित किया
- देशभर के कलाकारों ने बांधा समां
Nagpur News. उपराजधानी के गुरु नानक भवन में चार दिवसीय नृत्य और संगीत के भव्य उत्सव का आयोजन हुआ। श्री कृष्णा कल्चरल फाउंडेशन और श्री कृष्णा नृत्यालय के बैनर तले वार्षिक सांस्कृतिक महोत्सव 11 से 14 सितंबर तक चला, जिसमें भारत के सात राज्यों – आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना से आए कलाकारों ने अपनी अद्भुत प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। यह महोत्सव आयोजन निदेशक एवं सचिव प्रमिला उन्नीकृष्णन और टीम के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।
मंच पर दिखी कला की झलकियां
भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, कथक, सत्रिया, शास्त्रीय गायन, लोक नृत्य, लोक संगीत और वाद्य संगीत जैसी श्रेणियों में रोजाना सुबह 10 बजे से शाम 6:30 बजे तक प्रतियोगिताएं चलीं।
पुरस्कार वितरण में छाए कलाकार
- श्री संगीत विद्या मंदिर को सर्वश्रेष्ठ संगीत टीम का पुरस्कार मिला
- सर्वश्रेष्ठ वाद्य संगीत समूह स्नेहल संगीत विद्यालय बना
- यवतमाल के जाजू इंटरनेशनल स्कूल को संपूर्ण सर्वश्रेष्ठ संगीत समूह और नकद पुरस्कार मिला
- नृत्य वर्ग का सर्वश्रेष्ठ समूह चेन्नई का श्रीदेवी नृत्यालय रहा।
- इसके अलावा एकल श्रेणी में भरतनाट्यम कलाकार योगिता आर. और वायलिन वादक ऋतुपर्णा भार्गट को नकद पुरस्कार से नवाज़ा गया। संस्था ने ‘गुरुदेवो भव’ और ‘शिष्य परंपरा’ पुरस्कार देकर गुरुओं और विशेष कलाकारों को सम्मानित किया।
तनवीर कौर लांबा क्लासिकल डांस में द्वितीय पुरस्कार से नवाजा गया।
गुरनमन सिंह वाही को इंस्ट्रूमेंटल वोकल में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
महत्वपूर्ण अतिथियों की मौजूदगी
उद्घाटन दिवस के मुख्य अतिथि रहे श्री गणेश थोरात। इसके बाद 12 सितंबर को मुख्य अतिथि डॉ. शरद सूर्यवंशी, 13 सितंबर को डॉ. हर्षा झारिया और 14 सितंबर के समापन दिवस पर मुख्य अतिथि प्रसाद पुलीवार रहे। प्रसाद पुलीवार ने कहा कि यह आयोजन भारतीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित हुआ है।
भव्य समापन
समापन समारोह में डॉ. हनी उन्नीकृष्णन के मोहिनीयाट्टम और रमा कौंडिन्य के कुचिपुड़ी नृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस कार्यक्रम ने न केवल कलाकारों को मंच दिया, बल्कि सांस्कृतिक परंपरा को नई ऊंचाई दी। दर्शकों की भारी भीड़ और उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया ने इस आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया।
Created On :   15 Sept 2025 9:04 PM IST