Nagpur News: भागवत ने कहा - संस्कृत बोलचाल की भाषा होनी चाहिए, सीएम बोले - अभिनव भारती बनेगा संस्कृत केंद्र

भागवत ने कहा - संस्कृत बोलचाल की भाषा होनी चाहिए, सीएम बोले - अभिनव भारती बनेगा संस्कृत केंद्र
  • कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय में समर्पित हुआ डॉ. हेडगेवार अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक भवन
  • अभिनव भारती शैक्षणिक परिसर विश्वस्तरीय संस्कृत केंद्र बनेगा – मुख्यमंत्री फडणवीस

Nagpur News. संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीयता का सार है। जब संस्कृत समझी जाएगी, तभी देश को समझा जा सकेगा। संवाद की भाषा जब संस्कृत होगी, तब भावनाओं से जुड़ा आत्मबल जागृत होगा। ऐसे विचार सरसंघचालक मोहन भागवत ने रखे। कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के वारंगा स्थित अभिनव भारती अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक परिसर में शुक्रवार को एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज हुआ। यहां डॉ. केशव बलीराम हेडगेवार अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक भवन का उद्घाटन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में वह बोल रहे थे। इस भव्य समारोह में न केवल शैक्षणिक विकास की योजनाओं की झलक मिली, बल्कि संस्कृत भाषा के भविष्य की दिशा भी तय की गई। मोहन भागवत ने भक्त प्रह्लाद के उदाहरण से बताया कि रस ही शक्ति, ऊर्जा और लक्ष्मी का स्रोत है, और यह रस संस्कृत जैसे ज्ञानमूलक भाषा से उत्पन्न होता है।

विश्वस्तरीय शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित होगा परिसर – मुख्यमंत्री फडणवीस

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने उद्बोधन में कहा कि राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय को 50 एकड़ भूमि दी है ताकि इसे एक वैश्विक संस्कृत अध्ययन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सके। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस परिसर को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप विश्वस्तरीय आधारभूत सुविधाओं से सुसज्जित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक पृथक बैठक के माध्यम से इस विकास कार्य को समयबद्ध रूप में संपन्न किया जाएगा, और केंद्र सरकार से आवश्यक सहयोग भी लिया जाएगा।

उद्घाटन के साथ भविष्य के निर्माण की भी रखी नींव

इस समारोह में न केवल शैक्षणिक भवन का उद्घाटन हुआ, बल्कि डॉ. हेडगेवार बालक एवं बालिका छात्रावास का भूमि पूजन तथा अंतरराष्ट्रीय गुरुकुल का उद्घाटन भी संपन्न हुआ। मंच पर प्रमुख रूप से कुलगुरु प्रो. हरेराम त्रिपाठी की अध्यक्षता में कार्यक्रम संचालित हुआ। प्रो. त्रिपाठी ने भावविभोर होकर बताया कि इस भवन का निर्माण पूर्व कुलपतियों के प्रयासों से संभव हुआ, और अब इस परिसर में अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र, गुरुकुल एवं प्राचीन से आधुनिक विषयों पर अध्ययन केंद्र बनाए जाएंगे।

गौरवशाली उपस्थिति और भव्य स्वागत

कार्यक्रम में उच्च व तकनीकी शिक्षामंत्री चंद्रकांत पाटिल, वित्त राज्य मंत्री आशिष जैस्वाल, संस्कृत भारती के देवपूजारी, विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. पंकज चांदे व प्रो. उमा वैद्य, कुलसचिव डॉ. देवानंद शुक्ल तथा वारंगा परिसर निदेशक प्रो. कृष्णकुमार पांडे विशेष रूप से उपस्थित रहे। सभी अतिथियों का स्वागत शाल, श्रीफल व स्मृति चिह्न से किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. पराग जोशी ने किया, जबकि आभार प्रदर्शन प्रो. कृष्णकुमार पांडे ने किया।

संस्कृत विश्वविद्यालय की नयी उड़ान

इस अवसर पर कुलगुरु ने महाराष्ट्र सरकार से पीएम-उषा योजना के अंतर्गत 120 करोड़ रूपये तथा अनुसंधान केंद्र, गुरुकुल व अन्य सुविधाओं हेतु 300 करोड़ रूपये की निधि की मांग रखी। फडणवीस ने भरोसा दिलाया कि संस्कृत जैसी ज्ञानवर्धक भाषा के संवर्धन में वे स्वयं अपनी सेवाएं देंगे और केंद्र से भी आवश्यक सहयोग सुनिश्चित करेंगे। विश्वविद्यालय का यह शैक्षणिक परिसर न केवल संस्कृत की पुनर्प्रतिष्ठा का मंच बनेगा, बल्कि नवयुगीन भारत के आत्मनिर्भर निर्माण में एक सशक्त आधारशिला के रूप में खड़ा होगा। डेप्युटी इंजीनियर संतोष वाडीकर के निर्माण कार्य में योगदान की विशेष सराहना की गई।कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

Created On :   1 Aug 2025 7:58 PM IST

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