राजनीतिक साजिश!: कोंढाली नगर पंचायत में फर्जी ऑनलाइन आवेदन, नगराध्यक्ष के प्रबल उम्मीदवार का नाम ही गायब

कोंढाली नगर पंचायत में फर्जी ऑनलाइन आवेदन, नगराध्यक्ष के प्रबल उम्मीदवार का नाम ही गायब
  • गलती की, जांच भी उन्हीं के हवाले
  • जनता में आक्रोश, लोकतंत्र पर प्रश्नचिह्न
  • बिना दस्तावेज फर्जी आवेदन को मिली मंजूरी

Nagpur News. जिले की कोंढाली नगर पंचायत चुनाव प्रक्रिया के दौरान सनसनीखेज मामला सामने आया है। ओबीसी वर्ग से नगराध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार और चार बार ग्रापं सदस्य रहे संजय नत्थू राऊत का नाम मतदाता सूची से गायब पाया गया। जांच में चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि उनका नाम एक फर्जी ऑनलाइन स्थानांतरण आवेदन के आधार पर हिंगना तहसील के वानाडोंगरी नगर परिषद बूथ क्रमांक- 235 में स्थानांतरित कर दिया गया। संजय राऊत ने बताया कि उन्होंने कभी भी नाम स्थानांतरण के लिए कोई आवेदन नहीं किया। आवेदन पर न तो मेरे हस्ताक्षर हैं, न पता और आधार क्रमांक भी नहीं है, जो पूरी तरह फर्जी होकर राजनीतिक द्वेष से नाम हटाने का कयास लगाया। राऊत का आरोप है कि वे ओबीसी प्रवर्ग से नगराध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार हैं, इसके चलते जान-बूझकर उनका नाम सूची से हटाया गया।

बिना सुनवाई, बिना दस्तावेज फर्जी आवेदन को मिली मंजूरी

हिंगना तहसील कार्यालय में की गई जांच से पता चला कि जिस आवेदन के आधार पर नाम हटाया गया, उसमें न तो हस्ताक्षर हैं, न पहचान प्रमाण, न बीएलओ का सत्यापन और न कोई जरूरी दस्तावेज संलग्न है। बावजूद इसके यह अधूरा आवेदन बिना सुनवाई और सत्यापन के ही 2 अप्रैल 2025 को मंजूर कर लिया गया। भारत निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची नियमावली, 1960 के अनुसार किसी भी मतदाता का नाम स्थानांतरित करने से पहले ‘व्यक्तिगत सुनवाई’, ‘स्थानीय स्तर पर जांच’ और ‘लिखित अनुमति’ अनिवार्य है, लेकिन इस मामले में इन सभी नियमों की पूरी तरह अनदेखी की गई।

जिन्होंने गलती की, जांच भी उन्हीं के हवाले

राऊत ने नागपुर जिलाधिकारी से शिकायत की। जिस पर अतिरिक्त जिलाधिकारी ने जांच का आदेश उसी अधिकारी को सौंप दिया, जिसने पहले यह फर्जी आवेदन मंजूर किया था। इससे जांच की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

आवेदन प्राप्त हुआ है

वंदना संवरंगपते, उप विभागीय अधिकारी, ग्रामीण ने बताया कि संजय राऊत द्वारा की गई जांच का आवेदन प्राप्त हुआ है। ‌प्रकरण की संपूर्ण जांच करने पर ही आगे कुछ कहा ‌जा‌ सकता है।

जनता में आक्रोश, लोकतंत्र पर प्रश्नचिह्न

जब एक प्रमुख उम्मीदवार का नाम ही गायब हो सकता है, तो आम मतदाता का क्या भरोसा रहेगा?” लोगों ने राज्य निर्वाचन आयोग से स्वतंत्र जांच और दोषी अधिकारियों पर निलंबन की मांग की है। यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि सम्पूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल है। “लोकतंत्र को सबसे बड़ा खतरा बंदूक से नहीं, बल्कि एक गलत मतदाता सूची से है।”

Created On :   20 Oct 2025 5:47 PM IST

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