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Nagpur News: नियमों को ठेंगा दिखाकर खुलेआम की जाती है वन्यजीवों के मांस की बिक्री

Nagpur News नागपुर से मात्र 20 किलोमीटर दूर उमरेड तहसील के चांपा गांव में हर शनिवार सड़क किनारे एक ऐसा बाजार लगता है, जो वन्यजीवों के लिए क्रूरता और अवैध व्यापार का प्रतीक बन चुका है। इस बाजार में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (संशोधित 2022) के तहत शेड्यूल 1 और शेड्यूल 2 में शामिल संरक्षित प्रजातियों जैसे गोह, तीतर, बटेर और जंगली खरगोशों की खुलेआम बिक्री होती है। इन जानवरों के पैर बेरहमी से बंधे होते हैं, और अगर कोई खरीदार इन्हें खरीदता है, तो पास की चिकन शॉप में इन्हें काटकर दे दिया जाता है। बावजूद इसके वन विभाग की ओर से इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।
जंगली सूअर का मांस भी मिलता है : बाजार में जीवित जंगली सूअरों को भी बेरहमी से काटा जाता है और उनका मांस बेचा जाता है। तीतर, बटेर, जंगली खरगोश और घोरपड़ जैसे जीवित जानवरों की कीमत 500 से 1000 रुपये तक होती है, जबकि जंगली सूअर का मांस 300 से 500 रुपये में बिकता है। यह सब कुछ खुले आम हो रहा है, और चर्चा है कि मांग करने पर हिरण, सांबर, मोर और नीलगाय जैसे जानवरों का मांस भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
शिकार के क्रूर तरीके : शिकारी इन इलाकों में झाड़ियों और तालाबों के किनारे जाल बिछाकर वन्यजीवों को फंसाते हैं। कई बार तो मांस के शौकीनों की मांग के अनुसार भी शिकार किया जाता है। यह अवैध व्यापार कई सालों से चल रहा है, और अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
"हेल्प फॉर एनिमल वेलफेयर एसोसिएशन' ने खोली पोल : इस गंभीर मुद्दे की जानकारी "हेल्प फॉर एनिमल वेलफेयर एसोसिएशन' के आशीष खाड़े, विश्वजीत उके, स्वप्निल बोधने, सचिन काकड़े, अनिकेत सुरुशे और सचिन झोड़े ने उजागर की है। उनके अनुसार, चांपा, मांगली, सायकी, परसोडी, उमरी, सुकली, चिमनाझरी, मटकाझरी और हलदगांव जैसे आसपास के जंगली इलाकों में पहले वन्यजीवों की संख्या काफी थी, लेकिन अब शिकार के कारण उनकी तादाद तेजी से घट रही है।
कार्रवाई की मांग : "हेल्प फॉर एनिमल वेलफेयर एसोसिएशन" के अध्यक्ष आशीष खाड़े ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री, वनमंत्री, प्रधान मुख्य वनसंरक्षक, नागपुर शहर के वनसंरक्षक, पशुसंवर्धन आयुक्त पुणे, नागपुर जिलाधिकारी और पीपल्स फॉर एनिमल्स (पीएफए) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मेनका गांधी को शिकायत दर्ज की है। उनकी मांग है कि वन विभाग हर शनिवार को इस बाजार में अपनी मौजूदगी सुनिश्चित करे और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (संशोधित 2022) के तहत सख्त कार्रवाई कर इस अवैध व्यापार को रोका जाए।
कार्रवाई की जाएगी : इस बारे में हमे जानकारी मिली है, पुलिस की मदद से कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल करने से वे लोग अलर्ट हो रहे हैं। जिससे इस बार वहां बाजार नहीं लगा था। प्रयास जारी है। - विनति व्यास, उपवनसंरक्षक, वन विभाग नागपुर (प्रादेशिक)
Created On :   3 Oct 2025 11:31 AM IST