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Nagpur News: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला - जुडपी जंगल को वन भूमि का दर्जा रखा सुरक्षित

- 86,409 हेक्टेयर ‘जुडपी जंगल’ को लेकर बड़ा फैसला
- जुडपी जंगल को वन भूमि का दर्जा सुरक्षित रखा
- जुडपी भूमि को विभिन्न एजेंसियों को हस्तांतरित करने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी
Nagpur News. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के 86,409 हेक्टेयर ‘जुडपी जंगल’ को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि जुडपी जंगल की भूमि वन भूमि है, जिसे वन संरक्षण अधिनियम, 1980 (FC Act) के दायरे में लाया गया। केंद्र सरकार से पूर्व अनुमोदन के बिना उनके रूपांतरण पर रोक लगा दी गई है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की खंडपीठ के लिए निर्णय में कहा गया कि 12 दिसंबर 1996 से पहले किए गए जुडपी जंगल भूमि आवंटन, जब टी.एन. गोदावर्मन निर्णय (1996) ने FC Act के दायरे को बढ़ाया था, उसऐ प्रतिपूरक वनीकरण या एनपीवी भुगतान के बिना नियमित किया जाएगा, क्योंकि वे स्थापित कानूनी स्थिति से पहले के हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने 'जुडपी जंगल' को वन भूमि का दर्जा सुरक्षित रखा
टी.एन. गोदावर्मन थिरुमुलपाद मामले में 1996 के अपने ऐतिहासिक फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने एफसीए, 1980 के तहत जुडपी जंगल को संरक्षित करने का आदेश दिया था।
जुडपी जंगल पूर्वी विदर्भ में है, जहां ऊंचे पेड़ों की बजाय झाड़ियां हैं। इस ज़मीनों का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से आदिवासी समुदाय चराई, थ्रेसिंग और सामुदायिक गतिविधियों के लिए करते थे। अब, CJI बी आर गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 'जुडपी जंगल की भूमि को वन भूमि माना जाएगा'।
केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति के बिना जुडपी भूमि को विभिन्न एजेंसियों को हस्तांतरित करने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। जिसे लेकर अदालत ने राज्य सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि आगे कोई भूमि उपयोग परिवर्तन न हो और केंद्र सरकार को महाराष्ट्र सरकार द्वारा अनुपालन की जांच करने का निर्देश दिया।
इसके अलावा शेष 1,76,179 हेक्टेयर में 89,768 हेक्टेयर से अधिक को भूमि 1992 तक गैर-वानिकी गतिविधियों के लिए डायवर्ट किया गया था
सीजेआई ने यह भी कहा, "हम निर्देश देते हैं कि सभी गैर-आवंटित खंडित भूमि जो जंगलों के नजदीक नहीं है, उन्हें वन क्षेत्र घोषित किया जाएगा। सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसी किसी भी भूमि पर अतिक्रमण न हो। जब भी गैर-वनीय उद्देश्यों के लिए इसकी आवश्यकता होगी, एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा। इसे कभी भी किसी गैर-सरकारी संस्था को हस्तांतरित नहीं किया जाएगा।"
Created On :   22 May 2025 8:28 PM IST