Nagpur News: श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज के पहले प्रकाश उत्सव दिवस पर खास कीर्तन दरबार का आयोजन

  • जात-पात, छुआछूत और अंधविश्वास का खंडन
  • स्त्री के गौरव और बराबरी पर जोर
  • अच्छा और गुणी इंसान बनने की शिक्षा

Nagpur News.रविवार को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज के पहले प्रकाश उत्सव दिवस के मौके पर गुरुद्वारा गुरु कलगीधर दरबार में भव्य कीर्तन दरबार का आयोजन हुआ। इस मौके पर कथावाचक बलविंदर सिंह जी देहरादून ने गुरुसिखी की महान परंपराओं का वर्णन किया। उन्होंने सिख फलसफे का जिक्र करते कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब में संत कबीर के अलावा मुस्लिम शेख फरीद जी की बाणी भी दर्ज है, जिन्हें उसी तरह शेख नाम से संबोधित किया गया, जिस तरह मुस्लिम परंपरा में संबोधित किया जाता है। उनके नाम के आगे भक्त नहीं लिखा गया, "बाणी शेख फरीद जी की" लिखा है।


इस तरह गुरु ग्रंथ साहिब में सभी धर्मों को सम्मान दिया गया और ईश्वर अकाल पुरख वाहिगुरु को एक मानना ही सिख धर्म की मूल विचारधारा है। उनके बाद भाई जगतेश्वर सिंह जी पटियाला वालों ने कीर्तन के माध्यम से संगत को गुरबाणी के साथ जोड़ा।


कार्यक्रम में विधायक डॉ नितिन राऊत ने पहुंचकर माथा टेका और कीर्तन सुनने का लाभ लिया। इसके बाद गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मुख्य सेवादार गुरमीत सिंह खोखर ने शॉल देकर डॉ राऊत का सत्कार किया। इस मौके पर प्रितपाल सिंह भाटिया, परमजीत सिंह भटिया, गजेंद्र सिंह लोहिया, टीटू ढिल्लों, राजू भाटिया, जग्गा भामरा, सनी भामरा, बंटी दड़ियाल, गोलडी भामरा , जसप्रीत सिंह टुटेजा, बिट्टू गुम्बर उपस्थित थे।


इसके साथ ही महाराष्ट्र राज्य पंजाबी साहित्य अकादमी, महाराष्ट्र शासन के सदस्य राजवंतपाल सिंह तुली ने सभी के भले की अरदास की। गुरुद्वारा गुरु हरगोबिन्द साहिब के मुख्य सेवादार रणजीत सिंह ताक और तजिन्दर सिंह भी शामिल हुए।


श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश पर्व

आपको बतादें दसवें पात्शाह गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज ने ज्योति ज्योति समाने (परमशक्ति में लीन होने) से पहले गुरु ग्रंथ साहिब को तख्त श्री हुजूर साहिब नांदेड़ में गुरु गद्दी गुरु ग्रंथ साहिब सौंपी थी। साथ ही कहा था कि अब से शारीरिक रूप से सिखों का कोई गुरु नहीं होगा। सिखों की गुरु रुप में अगुवाई गुरु ग्रंथ साहिब ही करेंगे और सिख केवल एक ईश्वर अकाल पुरख वाहिगुरु का ही स्मरण करेगा।


इसके के पहले 1 सितम्बर 1604 को गुरु अर्जुन देव जी ने श्री हरिमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर, अमृतसर) में बाबा बुड्‌ढा की के हाथों श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश करवाया था, जो सिख इतिहास के लिए एक आस्वर्णीय पल था । इसी दिन को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है

बाणी का संकलन और प्रकाश

राजवंतपाल सिंह तुली ने बताया कि गुरु नानक पात्शाह जी से लेकर गुरु अर्जन पात्शाह जी तक सच्ची बाणी का प्रवाह चलता रहा। गुरु साहिबानों ने केवल अपनी बाणी ही नहीं, बल्कि संतों, भक्तों और सूफियों की बाणी को भी संग्रहित किया। इनमें प्रमुख हैं:

  • संत फरीद जी
  • भक्त कबीर जी
  • भक्त नामदेव जी
  • संत रविदास जी
  • भक्त बेनी जी
  • कवि जायदेव जी आदि।

गुरु अर्जन देव जी ने पांच पातशाहियों की बाणी और अपनी बाणी को मिलाकर, 30 रागों में आदि ग्रंथ का संकलन किया। इसका मूल कारण था कि झूठे और मिलावटी ग्रंथों से सच्ची बाणी को बचाया जाए और यह धरोहर पूरी मानवता तक पहुंचे।


पहला प्रकाश और आदेश

1604 में जब आदि ग्रंथ का प्रकाश हुआ तो बाबा बुड्‌ढा जी पहले मुख्य ग्रंथी बने। उस समय गुरु अर्जन देव जी और संगत की हजूरी में यह हुक्मनामा आया:

"संता कै कारज आप खलोइआ । हरि कम्म करावण आया राम ॥" (श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी, अंग 783)

यह दर्शाता है कि प्रभु स्वयं संतों के कार्य पूरे करवाने आता है।

गुरु ग्रंथ साहिब की विशेषताएं

• धर्मनिरपेक्षता: यह संसार का एकमात्र ग्रंथ है जिसमें सभी धर्मों के संतों की वाणी को समान स्थान मिला।

• समानता का संदेश: जात-पात, छुआछूत और अंधविश्वास का खंडन किया।

• नारी का सम्मान: स्त्री के गौरव और बराबरी पर जोर दिया।

• मानवता की प्रेरणा: हर इंसान को अच्छा और गुणी इंसान बनने की शिक्षा।


गुरु साहिबानों ने किसी को धर्म बदलने के लिए नहीं कहा, बल्कि –

• ब्राह्मण को सच्चा ब्राह्मण बनने,

• मुसलमान को सच्चा मुसलमान बनने,

• सभी को अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा दी।

शबद गुरु की स्थापना

1706 में गुरु तेग बहादुर जी की बाणी को भी ग्रंथ में दर्ज किया गया। 1708 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने देहधारी गुरु परंपरा को समाप्त कर, शबद को गुरु की गद्दी सौंप दी। तब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को पूरी मानवता का शाश्वत गुरु माना गया।

मानवता के लिए संदेश

श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी हमें सिखाते हैं:

• सबमें एक ही ज्योति है।

• कोई ऊँचा-नीचा नहीं।

• धर्म, जात और मत से ऊपर उठकर, सेवा, प्रेम और सच्चाई से जीना ही असली मार्ग है।

Created On :   24 Aug 2025 7:20 PM IST

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