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नाबालिग होने का सबूत नहीं इसलिए बाल विवाह के आरोपी बरी
- मेडिकल जांच में भी नहीं हुआ साबित
- गर्भवती है युवती
डिजिटल डेस्क, नागपुर। किशोरी के पिता ने एमआईडीसी पुलिस में शिकायत दी थी कि उनकी 12 वर्षीय बेटी को क्षेत्र के ही एक युवक नेे प्रेम अपने प्रेम में फंसा लिया। वह गर्भवती है। इसी वर्ष फरवरी में पिता की इच्छा के विरुद्ध आरोपी ने अपने परिजनों के सहयोग से किशोरी से विवाह भी कर लिया। अब 4 माह की गर्भवती किशोरी आरोपी के साथ अलग रह रही है। पिता की शिकायत पर एमआईडीसी पुलिस ने किशोरी के पति और उसके परिजनों पर बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, पॉक्सो और भादवि 376 के तहत मामला दर्ज किया।
हाई कोर्ट ने यह माना : न्यायालय में किशोरी की उम्र साबित करने के लिए सरकारी पक्ष ने उसके स्कूल की टीसी प्रस्तुत की, लेकिन स्कूल टीसी के आधार पर न्यायालय ने किशोरी को नाबालिग मानने से इनकार कर दिया। न्यायालय के आदेश पर उसका ओसिफिकेशन टेस्ट करके उम्र पता करने का प्रयास किया गया। स्वास्थ्य जांच अधिकारी ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दी कि पीड़िता के स्वास्थ्य की जांच के अनुसार उसकी उम्र 15 से 17 वर्ष के बीच है। न्यायालय ने हाई कोर्ट के एक फैसले के हवाले से माना कि ऐसे मामले जहां पीड़िता की सही उम्र साबित करने के ठोस सबूत न हों और स्वास्थ्य की जांच से एक अंदाजन उम्र तय की गई हो, तो एक से दो वर्ष की मार्जिन रखी जा सकती है। इसलिए न्यायालय ने उसे 18 वर्ष की बालिग माना है। पीड़िता के बालिग साबित होने के कारण आरोपियों को बाल विवाह या पॉक्सो के तहत दुष्कर्म के मामले से बरी कर दिया गया।
Created On :   31 May 2023 11:25 AM IST