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सेवानिवृत्ति लाभ के लिए न मांगें जाति वैधता प्रमाणपत्र
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने जाति वैधता प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं करने के कारण रोके गए सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी के सेवानिवृत्ति लाभ जैसे पेंशन, ग्रेच्युटी, लीव इनकैशनमेंट जारी करने का आदेश नागपुर जिला परिषद के जिला स्वास्थ्य अधिकारी को दिया है। हाई कोर्ट ने माना है कि, क्योंकि याचिकाकर्ता के सेवाकाल के दौरान उनसे कभी जाति वैधता प्रमाणपत्र नहीं मांगा गया, तो सेवानिवृत्ति के बाद इस प्रमाणपत्र की शर्त के कारण सेवानिवृत्ति लाभ रोकना भी सही नहीं है। पेंशन और अन्य निवृत्ति लाभ का उद्देश्य यही है कि, सेवा समाप्त होने के बाद भी एक सेवानिवृत्त कर्मचारी सम्मान से अपना जीवन व्यतीत कर सके।
यह है मामला : याचिकाकर्ता की प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में 11 मई 1994 को अनुसूचित जनजाति प्रवर्ग पर वरिष्ठ आयुर्वेदिक वैद्य पद पर नियुक्ति हुई। याचिकाकर्ता के अनुसार नियुक्ति के लिए उस समय केवल जाति प्रमाणपत्र मांगा गया। याचिकाकर्ता ने 16 दिसंबर 1993 को जारी प्रमाणपत्र नियुक्ति के लिए पेश किया। याचिकाकर्ता 58 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर 30 जून 2020 को सेवानिवृत्त हो गए। उनके पूरे कार्यकाल में उनसे कभी भी विभाग द्वारा जाति वैधता प्रमाणपत्र नहीं मांगा गया। उन्हें 6 माह तक अंतरिम पेंशन भी दी गई, लेकिन फिर उनसे जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने पत्र भेजकर नियमित पेंशन के लिए जाति वैधता प्रमाणपत्र की मांग की। तब तक उनके सेवानिवृत्ति लाभ पर रोक लगा दी। उन्होंने हाई कोर्ट की शरण ली। मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया है।
Created On :   29 Aug 2023 3:49 PM IST