फटकार और आदेश भी - सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को रखा बरकरार

फटकार और आदेश भी - सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को रखा बरकरार
  • सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को रखा बरकरार
  • 27 विद्यार्थियों को बी. फार्मा में प्रवेश देने का मामला
  • धांधली के प्रयास का आरोप

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में जिले की एक संस्था को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। सतचिकित्सा प्रसारक मंडल व आदर्श इंन्स्टीटयूट ऑफ फार्मेसी के संचालक गंगाधर नाकाडे को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि आप अपराधी हो, इसलिए यह सब हो रहा है। यह मामला यह मामला नियमबाह्य तरीके से 27 विद्यार्थियों को बी. फार्मा में प्रवेश देने का था। इस प्रवेश प्रक्रिया को मान्य करने के लिए याचिका दायर की गई थी। 16 मई को गंगाधर नाकाडे की विशेष अवकाश याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश कृष्ण मुरारी और संजय कुमार की बेंच ने फैसला सुनाया। सतचिकित्सा प्रसारक मंडल ने नागपुर उच्च न्यायालय की खंडपीठ में न्यायाधीश एम. आर. चंदुरकर और न्यायाधीश चंदवानी की बेंच के 3 अप्रैल के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इस मामले को लेकर पहले ही उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि जिन विद्यार्थियों की प्रवेश प्रक्रिया की गई है, उन्हें समीपस्थ दूसरे कॉलेजों में स्थानांतरित किया जाए।

धांधली के प्रयास का आरोप : सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को कहा कि छात्रों के स्थानांतरण में धांधली का प्रयास हो रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए सभी विद्यार्थियों को समीपस्थ दूसरे कॉलेज में समायोजित करने का आदेश जस का तस रखा है। साथ ही विद्यार्थियों का अस्थायी रूप से नामांकन कर आगामी परीक्षा के लिए अनुमति देने का अादेश दिया है। सर्वोच्च न्यायालय में गंगाधर नाकाडे की तरफ से अधिवक्ता विजय कसाना ने, विद्यार्थियों की तरफ से अधिवक्ता आर.सी. शुक्ला ने और नागपुर होमियोपैथिक कॉलेज के उपाध्यक्ष व डॉ. गोपाल भुतड़ा व अध्यक्ष डॉ. आर.आर. बालपांडे की तरफ से अधिवक्ता निखिल नैयर व अधिवक्ता दिव्यांशू रॉय ने पैरवी की।

2007 से लग रहे ट्रस्ट पर आरोप : पूरा मामला इस प्रकार है। नागपुर होमियोपैथिक कॉलेज के उप प्राचार्य डॉ. गाेपाल भुतड़ा ने बताया कि सतचिकित्सा प्रसारक मंडल, नागपुर होमियोपैथी कॉलेज की नई संस्था आदर्श इन्स्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की मान्यता के बिना विद्यार्थियों को प्रवेश दिया है। इसमें फर्जीवाड़ा किया गया है। इसके अलावा सभी शासकीय मान्यताएं व विश्वविद्यालय से संबधित प्रक्रियाएं संदेहास्पद है। नागपुर होमियोपैथिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आर.आर. बालपांडे व उप प्राचार्य डॉ. गोपाल भुतड़ा ने इस मामले को उजागर कर उच्च व सर्वोच्च न्यायालय के सामने रखा। 2007 में न्यायाधीश भूषण धर्माधिकारी की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने कहा था कि ट्रस्ट के खिलाफ अनेक आरोप हैं। इसलिए सरकार को यहां प्रशासक की नियुक्ति का आदेश दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने 27 विद्यार्थियों को राहत दी है, लेकिन भविष्य में उन्हें प्रवेश प्रक्रिया समेत करियर संबंधी समस्याएं होंगी, ऐसा भी डॉ. भुतड़ा ने बताया है। उन्होंने कहा है कि विद्यार्थियों को मोहरे बनाकर उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना कर सुप्रीम कोर्ट में फिर से यही विषय रखा गया। पिछले तीन दशकों से ट्रस्ट की संदिग्ध कार्यप्रणाली पर विराम नहीं लग रहा है। डॉ. भुतड़ा ने कहा कि जल्द ही ट्रस्ट के भीतर हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया जाएगा।

Created On :   22 May 2023 5:54 PM IST

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