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जागरूकता: मध्यस्थता ही विवाद का समाधान
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला विधि सेवा प्राधिकरण नागपुर की ओर से आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में जिला विधि सेवा प्राधिकरण नागपुर के सचिव न्यायाधीश सचिन पाटील ने कहा कि, मध्यस्थता वैकल्पिक विवाद का समाधान है और प्रलंबित अदालती मामलों के शीघ्र निपटाने के लिए यह प्रक्रिया बहुत उपयोगी है। मध्यस्थता गोपनीय, स्वैच्छिक, पारदर्शी और कम खर्चे की प्रभावी प्रक्रिया है। मध्यस्थता प्रक्रिया में आपसी सामंजस्य से मामला सुलझाया जाता है। इसलिये ज्यादा से ज्यादा पक्षकारों से अपना पैसा, समय और श्रम बचाने के लिये और बिना देरी न्याय पाने के लिये इस प्रक्रिया का लाभ उठाने का भी न्या. पाटील ने आह्वान किया।
कई विषयों पर मार्गदर्शन : जिला न्यायालय के प्रमुख जिला न्यायाधीश एस. बी. अग्रवाल के मार्गदर्शन में जिला न्यायालय के न्यायाधीश सभागृह में हाल ही में मध्यस्थता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में न्या. पाटील बोल रहे थे। प्रमुख अतिथि के रूप में मध्यस्थता प्रशिक्षक एड. राजेंद्र राठी एवं एड. सुरेखा बोरकुटे उपस्थित थे। न्या. पाटील ने वैकल्पिक विवाद निवारण पद्धति, मध्यस्थता संकल्पना, मध्यस्थता प्रक्रिया में पक्षकार, विधिज्ञ और मध्यस्थता की भूमिका विषयों पर भी मार्गदर्शन किया।
लाभों के बारे में जानकारी दी : एड. राजेंद्र राठी ने मध्यस्थता प्रक्रिया में किस प्रकार के प्रकरण न्यायालय में दाखिल किए जाते हैं, पक्षकारों के बीच विवादों को कुछ नियमों और शर्तों के अधीन मध्यस्थता प्रक्रिया के माध्यम से कैसे निपटाया जाता है, साथ ही मध्यस्थता प्रक्रिया के माध्यम से निपटाए गए मामलों में कितना समय और पैसा लगता है जैसे विषयों पर विस्तार से बताया। सुरेखा बोरकुटे ने समान न्याय के सिद्धांतों, जिला विधी सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रदान की जाने वाली नि:शुल्क कानूनी सेवाओं और मध्यस्थता प्रक्रिया के लाभों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन विधि स्वयंसेवक आनंद मांजरखेडे ने किया। आभार मुकुंद अडेवार ने माना। कार्यक्रम में पक्षकार, मध्यस्थता अधिवक्ता, पैनल अधिवक्ता, लॉ कॉलेज के छात्र और जिला विधि सेवा प्राधिकरण के कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
Created On :   3 Oct 2023 3:17 PM IST