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अधिष्ठाता की नियुक्ति अवैध, राज्यपाल का फैसला
डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश राज्यपाल रमेश बैस ने राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विवि के इंटर डिसिप्लिनरी शाखा के अधिष्ठाता डॉ. प्रशांत कडू की नियुक्ति रद्द कर दिया है। राज्यपाल ने माना है कि नागपुर विवि की एकेडमिक काउंसिल ने कडू को अधिष्ठाता बनाने के लिए पदभर्ती के नियम भी अवैध रूप से बदल दिए। ये नए नियम महाराष्ट्र सार्वजनिक विश्वविद्यालय अधिनियम के उल्लंघन में गठित किए गए थे। 13 जून 2022 को नागपुर विवि ने यह विज्ञापन जारी किया था। अधिष्ठाता पद की रेस में सावनेर के भालेराव कॉलेज की लाइब्रेरी साइंस की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शालिनी साखरकर भी शामिल थीं। डॉ. कडू की नियुक्ति को अवैध होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने सीधे राज्यपाल से मामले की शिकायत की थी। राज्यपाल ने बीते 29 मई को कुलगुरु डॉ. सुभाष चौधरी, कुलसचिव डॉ. राजू हिवसे, डॉ. कडू और शिकायतकर्ता की सुनवाई ली और सभी पक्षों को सुनने के बाद यह फैसला दिया।
3 बार विज्ञापन निकाले : डॉ. कडू की पदभर्ती शुरुआत से ही विवादित रही है। विवि में इंटरडिसिप्लिनरी शाखा के अधिष्ठाता पद पर नियुक्ति के लिए कुल 3 बार विज्ञापन निकाले गए। पहले दोनों बार योग्य उम्मीदवार नहीं मिला, इस कारण तीसरी बार विज्ञापन 13 जून 2022 को निकाला गया। पहले दो विज्ञापन में स्पष्ट था कि उम्मीदवार के पास इंटरडिसिप्लिनरी शाखा से ही पीएचडी डिग्री होनी चाहिए, लेकिन डॉ. कडू के पास मैकेनिकल इंजीनियरिंग शाखा की डिग्री है। उनका इंटरडिसिप्लिनरी शाखा से कोई संबंध नहीं रहा। फिर भी उन्हें अधिष्ठाता बनाने के लिए विवि की एकेडमिक काउंसिल ने पदभर्ती का नियम बदल दिया। उसमें लिखा गया कि नियुक्ति के लिए किसी भी शाखा की पीएचडी मान्य होगी। राज्यपाल ने इसे विश्वविद्यालय अधिनियम का उल्लंघन करार देकर डॉ. कडू की नियुक्ति खारिज कर दी है।
हाई कोर्ट पहुंचा था विवाद : गौरतलब है कि डॉ. कडू की नियुक्ति शुरुआत से ही विवादों में रही है। सीनेट सदस्य एड. मनमोहन बाजपेयी ने तो सीधे हाई कोर्ट में याचिका दायर करके यह मुद्दा उठाया है। उनकी याचिका पर हाई कोर्ट ने राज्यपाल और विवि प्रशासन को भी नोटिस जारी किया था। इधर एड. बाजपेयी ने राज्यपाल से भी सीधे इस मामले की शिकायत की थी।
Created On :   17 Jun 2023 6:12 PM IST