मगरमच्छ को बचाने की नीति तैयार कर वन विभाग

मगरमच्छ को बचाने की नीति तैयार कर वन विभाग
  • वन विभाग उपलब्ध कराएगा रोजगार
  • बाघों की तरह ही बढ़ाएंगे कुनबा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाघों की तरह मगरमच्छ को भी बचाने की नीति वन विभाग तैयार कर रहा है। यानी अब मछुआरों को उन जगहों पर मछली मारने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जहां मगरमच्छों का अधिवास है। हालांकि इसके लिए वन विभाग ऐसे मछलीमारों को रोजगार भी उपलब्ध करने वाले हैं।

बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए वन विभाग की ओर से करोड़ों रुपए की योजना चलाई जा रही है। परिणाम भी सामने है, बाघों की संख्या अच्छी-खासी हो गई है। इनकी तुलना में मगरमच्छ के लिए नागपुर जिले में कोई खास नीति मगरमच्छ को भी बचाने की नीति वन विभाग तैयार कर रहानहीं है। ऐसे में वन विभाग अब इनके लिए अलग से काम कर रहा है। हाल ही में पहली बार पेंच में मगरमच्छ गणना का एक उपक्रम चलाया गया था, जिसमें पूरे पेंच में 30 मगरमच्छों की उपस्थिति देखने को मिली। इन मगरमच्छों की जहां उपस्थिति है, वहां मछलीमार व विभिन्न कारणों से मानवी हस्तक्षेप ज्यादा हो रहा है। माना जा रहा है कि इस कारण मगरमच्छों का कुनबा तेजी से नहीं बढ़ रहा है।

ऐसी है योजना : नई नीति के तहत जिन जगहों पर मगरमच्छों की उपस्थिति ज्यादा है, वहां मानवी हस्तक्षेप कम किया जाएगा। इसके लिए मछली मारने वालों को उन जगह पर जाने से सीधे रोका तो नहीं जाएगा, लेकिन इन्हें यहां जाने की जरूरत ही न पड़े, ऐसी स्थिति पैदा की जाने वाली है। इनके लिए वन विभाग उन्हें रोजगार उपलब्ध करने वाला है। ताकि कम से कम मछुआरे कोलितमारा व आसपास की जगहों पर पहुंचकर जाल फेंके। अधिकारियों ने बताया कि मगरमच्छ को सांस लेने के लिए बार बार पानी के ऊपर आना पड़ता है। मछली पकड़ने के लिए फेंके गए जाल पर में मगरमच्छ के बच्चे अक्सर फंस जाते हैं। वे बाहर नहीं निकल पाते हैं, जिससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है और वह मर जाते हैं। आए दिन इस तरह का वाकया होता है। इसी तरह बार बार मानवी हस्तक्षेप के कारण इनकी प्रजनन प्रक्रिया पर भी फर्क पड़ता है। ऐसे में इंसानों की उपस्थिति कम की जाएगी। मगरमच्छ को रहने के लिए और भी अनुकूल माहौल बनाया जाएगा। उनके खान-पान के लिए भी ज्यादा से ज्यादा विकल्प तैयार किए जाएंगे।

Created On :   15 Jun 2023 11:02 AM IST

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