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विराजेंगे ‘महाराज’-मुरादाबाद में बनेगा सिंहासन, नागपुर में मॉडल और कोल्हापुर में होगी कास्टिंग
चंद्रकांत चावरे , नागपुर। कला क्षेत्र में नागपुर का स्थान काफी ऊंचा है। यहां के कलाकाराें की कलाकृतियां देश-विदेश में स्थापित हैं। पुतलों की नगरी होने के कारण यहां पुतलों के प्रति आकर्षण स्वाभाविक है। यहां के सुप्रसिद्ध शिल्प कलाकारों में हिराचंद विकमशी, रवि मूर्ति, शांतनु इंगले समेत अनेक नाम शामिल हैं। अब इसमें एक स्वर्णिम अध्याय जुड़ने जा रहा है। शहर के युवा शिल्प कलाकार सोनल कोहाड द्वारा देश में सबसे बड़ा छत्रपति शिवाजी महाराज का पुतला तैयार किया जा रहा है। यह पुतला राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ के महाराजबाग चौक स्थित मुख्य प्रशासकीय इमारत परिसर में स्थापित होगा। पुतले का मूल मॉडल (मिट्टी का संपूर्ण पुतला) नागपुर में तैयार होगा। कॉस्टिंग (धातु में बदलना) के लिए कोल्हापुर व उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में ले जाया जाएगा। कॉस्टिंग के बाद धातु का पुतला नागपुर लाकर स्थापित किया जाएगा।
महाराज के हाथों में राजदंड पर सहमति : रातुम नागपुर विद्यापीठ को 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में यह पुतला स्थापित किया जाने वाला है, जो 32 फीट ऊंचा होगा। उस पर 7 फीट का छत्र होगा। पुतला स्थापित करने के लिए 9 फीट ऊंचा, 15 फीट चौड़ा व 20 फीट लंबा चबूतरा तैयार होगा। पुतले का वजन 11 टन यानी 11000 किलो होगा। यह पुतला कांस्य (ब्रॉन्ज) धातु का होगा। सारी मंजूरियों के बाद पुतले के निर्माण की जिम्मेदारी नागपुर निवासी 36 साल के युवा शिल्प कलाकार सोनल कोहाड़ को सौंपी गई है। राज्य सरकार के कला विभाग संचालनालय से मान्यता के लिए सोनल ने पहले 4 फीट का क्ले मॉडल (मिट्टी का पुतला) बीते दिसंबर में तैयार किया। इसे बनाने में एक महीने का समय लगा। 27 जनवरी 2023 को इसका परीक्षण हुआ। परीक्षण के बाद सर्वमत से निर्णय लिया गया कि चूंकि यह विद्यापीठ परिसर का पुतला है, इसलिए महाराज के हाथ में तलवार नहीं, राजदंड होना चाहिए। सोनल ने राजदंड तैयार किया। फिर पूरी तरह निरीक्षण के बाद पुतले को मान्यता दी गई।
कॉस्टिंग के बाद होगी स्थापना : प्राथमिक स्ट्रक्चरल काम शुरू है। 4 फीट के मूल मॉडल के आधार पर उसका 8 गुना यानी 32 फीट का विशाल मिट्टी का पुतला तैयार किया जाएगा। इसमें करीब 7 महीने लगेंगे। निरीक्षण में आवश्यकता होने पर कुछ बदलाव किया जाएगा। अगली प्रक्रिया में पुतले को कमर से ऊपर व नीचे, दो भागों में विभाजित किया जाएगा। फिर कॉस्टिंग के हिसाब से अलग-अलग हिस्से किए जाएंगे। इतने विशाल पुतले की कॉस्टिंग की सुविधा नागपुर में उपलब्ध नहीं है, इसलिए बाहर की कंपनियों में कॉस्टिंग की जाने वाली है। सिंहासन की कॉस्टिंग उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में होगी, जबकि महाराज की प्रतिकृति की कॉस्टिंग कोल्हापुर में की जाने वाली है। इसके बाद नागपुर मंे पुतला स्थापित करने का काम किया जाएगा। पूरी प्रक्रिया में डेढ़ से दो साल का समय लगेगा। मास्टर इन फाइन आर्ट की शिक्षा ले चुके साेनल के मार्गदर्शन में 20 से 25 शिल्प कलाकार छत्रपति शिवाजी महाराज के पुतले को साकार करेंगे। उन्होंने अब तक 100 से अधिक विविध शिल्प तैयार किए हैं, जो देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थापित किए गए हैं।
दो विशेष पुतले, जो बने हैं पहचान : शहर में छत्रपति शिवाजी महाराज के दो पुतले विशेष हैं। सुभाष रोड स्थित शिवराज फाइन आर्ट एंड लिथो वर्क्स की इमारत पर जमीन से 46 फीट की ऊंचाई पर 16 फीट की अश्वारुढ़ पुतला स्थापित किया गया है। दिल्ली के शिल्प कलाकार सदाशिवराव साठे ने इस पुतले को तैयार किया था। दादासाहेब धनवटे द्वारा स्थापित इस पुतले का अनावरण तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने किया था। दूसरा पुतला महल के गांधी गेट के पास स्थापित है। शहर के प्रसिद्ध शिल्पकार शांतनु इंगले ने इस पुतले का निर्माण किया था। 7 फीट ऊंचाई का यह पुतला ब्रॉन्ज में बना है। छत्रपति शिवाजी महाराज के इस पूर्णाकृति पुतले की स्थापना 2017 में हुई थी। यह स्थान जन अांदोलन की प्रेरणा व शक्ति स्थान के रूप में प्रसिद्ध है।
कला क्षेत्र के लिए गौरव की बात : विद्यापीठ परिसर में स्थापित होने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज के पुतले का निर्माण की जिम्मेदारी नागपुर के युवा शिल्प कलाकार को दिया गया, यह कला क्षेत्र के लिए गौरवास्पद है। इस कार्य से यहा की शिल्पकला और समृद्ध होगी। नए कलाकारों को शिल्पकार्य करने नई दिशा मिलेगी। -शांतनु इंगले, शिल्प कलाकार
Created On :   20 Jun 2023 4:11 PM IST