हवा की गुणवत्ता पर सवाल: यह लापरवाही बहुत गंभीर है - एमपीसीबी की वेबसाइट में तकनीकी खराबी, 28 अक्टूबर तक के ही आंकड़े उपलब्ध

यह लापरवाही बहुत गंभीर है - एमपीसीबी की वेबसाइट में तकनीकी खराबी, 28 अक्टूबर  तक के ही आंकड़े उपलब्ध
  • महाल और पारडी के लिए एहतियात
  • ग्रामीण और सीमावर्ती क्षेत्र से शहर को खतरा
  • कड़ी उपाय योजना लागू

डिजिटल डेस्क, नागपुर. देश भर में हवा की गुणवत्ता को लेकर चिंता जताई जा रही है। राज्य सरकार ने भी राज्य भर में उपाय योजना करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन हवा की गुणवत्ता को जानने के विकल्प को लेकर प्रश्नचिह्न लग गया है। देश भर के प्रमुख शहरों में मौजूद एयर मॉनिटरिंग स्टेशनों की दिन भर में दो मर्तबा की स्थिति केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर दी जाती है। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से भी राज्य के प्रमुख शहरों की स्थिति अपनी वेबसाइट पर देते हैं, लेकिन पिछले दो दिनों से केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट में तकनीकी दिक्कत होने से खुल नहीं पा रही है। वहीं दूसरी ओर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से 28 अक्टूबर के बाद की स्थिति ही नहीं दी गई है। ऐसे में शहर की हवा की गुणवत्ता की स्थिति को जानने पर प्रश्नचिह्न लग गया है। पांच दिनों पहले हवा की गुणवता में पीएम10 और पीएम 2.5 को लेकर अंतिम आंकड़ेवारी में खतरनाक स्तर 251 पाया गया था, लेकिन इसके बाद से कोई भी स्थिति का विवरण नहीं मिल पा रहा है। वहीं दूसरी ओर महानगरपालिका प्रशासन ने हाई कोर्ट के अादेश के बाद अपनी नियमावली जारी कर दी है।

कड़ी उपाय योजना लागू

डॉ श्वेता बनर्जी, अधीक्षक अभियंता, सार्वजनिक अभियांत्रिकी स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक मनपा प्रशासन ने हाई कोर्ट के निर्देश पर हवा की गुणवत्ता सुधार के लिए प्रयास आरंभ कर दिया है। प्रतिदिन 25 किमी निर्माणकार्य स्थल पर पानी की छिड़काव किया जा रहा है। एयर मॉनिटरिंग के परिणामों को देखते हुए महाल क्षेत्र और पारडी में उपाय योजना को प्राथमिकता दी जा रही है। खुले में कचरा जलाने को लेकर दो दिनों में 55 हजार रुपए दंड भी वसूल किया गया है।

महाल और पारडी के लिए एहतियात

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से शहर में चार स्थानों की एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग की जा रही है। इसके अलावा निमार्णकार्य जारी होने के चलते शहर में महाल और पारडी इलाके की हवा की गुणवत्ता को खतरे के घेरे में पाया गया है। ऐसे में दोनों स्थानों पर मनपा, लोकनिर्माण विभाग समेत अन्य सरकारी विभागों की ठेका एजेंसी को कड़ी ताकीद देते हुए लोहे की टीन और हरा कपड़ा लगाने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही निजी ठेकेदारों को भी पानी का छिड़काव कर धूलकणों से सुरक्षा करने का निर्देश दिया गया है। निर्माणकार्य सामग्री लेकर जाने वाले वाहनों को पूरी तरह से ढंककर रखने की ताकीद भी दी गई है।

ग्रामीण और सीमावर्ती क्षेत्र से शहर को खतरा

महानगरपालिका, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत सभी विभाग हवा की गुणवत्ता में सुधार को लेकर प्रयास करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन शहर के सीमावर्ती इलाके और शहर से जुड़े ग्रामीण क्षेत्र खुलेआम प्रदूषण बढ़ा रहे हैं। ग्रामीण इलाके के खेतों में रोजाना सुबह पराली को जलाया जा रहा है। इस पराली के चलते शहर में हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है। इन इलाके के स्थानीय प्रशासन के साथ अब भी एमपीसीबी और मनपा का समन्वय नहीं बन पाया है। शहर में सड़कों के निर्माण कार्य से भी धूलकण वातावरण में फैल रहे हैं। दीपावली के पटाखों से हवा पर विपरीत परिणाम होने की आशंका बनी हुई है।

उपाय योजना इस प्रकार निर्देशित

प्रतिदिन 25 किमी क्षेत्र में पानी का छिड़काव

निजी और सरकारी ठेकेदारों को भी धूलकणों से सुरक्षा का निर्देश

महाल और पारड़ी में प्राथमिकता से हवा की सुरक्षा का प्रयास

निर्माणकार्य सामग्री को लेकर जाने वाले वाहनों को ढंकने का निर्देश

खुले में कचरा जलाने पर दंडात्मक कार्रवाई आरंभ

2 घंटे की निर्धारित समयावधि के बाद पटाखा जलाने पर कार्रवाई


Created On :   13 Nov 2023 4:13 PM IST

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