महाराष्ट्र के कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने में बरत रहे ढिलाई

महाराष्ट्र के कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने में बरत रहे ढिलाई
  • थर्मल पावर प्लांट उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने में बरत रहे ढिलाई
  • महाराष्ट्र के कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट का उत्सर्जन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र सहित देश के कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने में ढिलाई बरत रहे है। इस क्षेत्र में स्थापित क्षमता के केवल 5 प्रतिशत ने ही एसओ2 उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरण- फ्यूल गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) प्रणाली स्थापित की है। देश में बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है, लेकिन राज्य के केवल 11 प्रतिशत संयंत्र ही वर्तमान में उत्सर्जन मानदंडों का अनुपालन कर पा रहे है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के विश्लेषण के अनुसार एसओ 2 उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए अब तक जिन 5 प्रतिशत संयंत्रों ने एफजीडी स्थापित किए हैं, उनमें 9280 मेगावाट शामिल हैं के मुताबिक उन्होंने एफजीडी प्रणाली चालू कर दी है और अन्य 1430 मेगावाट जो एसओ2 के अनुरूप होने का दावा करते हैं। सीएसई की औद्योगिक इकाई की कार्यक्रम अधिकारी अनुभा अग्रवाल कहती है कि इन दावों में कितनी सच्चाई है यह कहना मुश्किल है। क्योंकि इन दावों की पुष्टि के लिए राज्य स्तरीय नियामक निकायों द्वारा किए गए जमीनी निरीक्षण के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

सीएसई की औद्योगिक प्रदूषण इकाई के कार्यक्रम निदेशक निवित यादव कहते है कि पर्यावरण मंत्रालय ने 7 दिसंबर 2015 में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांटों के लिए सख्त मानकों को अधिसूचित किया था। तब से कई मानदंडों को कमजोर कर दिया गया है। एसओ2 के नियंत्रण के लिए समय सीमा में 5-8 साल के विस्तार के बावजूद श्रेणी ए के 43 फीसदी, श्रेणी बी के 11 और सी श्रेणी के 1 प्रतिशत क्षमता वाले संयंत्र क्रमश: 2024,2025 और 2026 की नवीनतम समय सीमा तक मानदंडों को पूरा करने की संभावना नहीं है।

इस मामले में पूर्वी क्षेत्र के किसी भी राज्य में ऐसा कोई भी थर्मल पावर प्लांट नहीं है जो व र्तमान में उत्सर्जन मानदंडों का अनुपालन कर रहे है। पश्चिमी क्षेत्र के महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ में कुछ टीपीपी (ताप विद्युत संयंत्र) ही है जो एसओ2 के मानदंडो का पालन कर रहे हैं। महाराष्ट्र की बात करें तो यह देश के सबसे अधिक कोयला तापीय क्षमता वाला राज्य है, लेकिन यहां के केवल 11 फीसदी संयंत्र ही अभी नियमों का अनुपालन कर पा रहे हैं

Created On :   23 Jun 2023 8:22 PM IST

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