लॉकडाउन में 10 प्रश. हत्याएँ व 3त्न आत्महत्याएँ बढ़ीं अप्राकृतिक मृत्यु में सबसे ज्यादा मामले युवाओं के

लॉकडाउन में 10 प्रश. हत्याएँ व 3त्न आत्महत्याएँ बढ़ीं अप्राकृतिक मृत्यु में सबसे ज्यादा मामले युवाओं के
लॉकडाउन में 10 प्रश. हत्याएँ व 3त्न आत्महत्याएँ बढ़ीं अप्राकृतिक मृत्यु में सबसे ज्यादा मामले युवाओं के

मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट ने की स्टडी
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
कोरोना काल में जब सब कुछ थम गया था, लोग घरों में कैद थे, तब शहर में आत्महत्या और हत्या की संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। इस बात में भले ही विरोधाभास नजर आए, लेकिन आँकड़े इसे सच साबित कर रहे हैं। वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2020 में मार्च से लेकर जुलाई  महीने तक आत्महत्याओं और हत्याओं में क्रमश: 3 प्रतिशत और 10 प्रतिशत की वृद्धि हो गई। मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी डिपार्टमेंट ने इस पर स्टडी की है, जिसमें कुछ रोचक तथ्य निकलकर सामने आए हैं। स्टडी करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन के प्रभावों को लेकर इस तरह की स्टडी दुनिया में कहीं नहीं हुई है, जिसमें स्टडी के लिए पोस्टमार्टम रिपोट्र्स का सहारा लिया गया हो। शोध में एक और रोचक बात सामने आई है कि पुरुषों में हत्याओं के मामले, महिलाओं की तुलना में अधिक देखे गए। वहीं पुरुषों की तुलना में आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या ज्यादा रही। सबसे ज्यादा अप्राकृतिक मौतें युवाओं में देखी गईं। 
मेंटल हैल्थ के प्रति अवेयरनेस आए
फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि हम सोसायटी को लेकर एक स्टडी करना चाह रहे थे, तब इस बारे में सोचा कि क्योंकि न एक स्टडी की जाए, जिससे मिले नतीजों से लोग मेंटल हैल्थ के प्रति अवेयर हों। खासतौर पर कोरोना से उबरने के बाद की स्थिति को आसानी से हैंडल किया जा सके। हमें लगा था कि आत्महत्याओं और हत्याओं के मामले में 2019 के मुकाबले गिरावट होगी, लेकिन आश्चर्यजनक रूप में इनका प्रतिशत बढ़ा हुआ मिला। इस स्टडी को एसो. प्रो. डॉ. निधि सचदेवा, असि. प्रो. डॉ. मुकेश रॉय और जूनियर रेसीडेंट डॉ. दिव्यम मोदी ने पूरा किया है।
अप्राकृतिक मौतों की वजह
डॉ. सचदेवा ने बताया कि इस स्टडी को पूरा होने में करीब 3 महीने का वक्त लगा। इसमें पोस्टमार्टम के दौरान आए मृतकों के परिजनों के अलावा पुलिस से भी बात की गई। लॉकडाउन के दौरान होम क्वारंटीन, आइसोलेशन, सोशल डिस्टेंसिंग ने लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित किया, जिससे डिप्रेशन, घबराहट और फोबिया से लोग पीडि़त हुए। इसमें बेरोजगारी और आर्थिक संकट भी शामिल रहा। यही वजह अप्राकृतिक मौतों का कारण बनी।
 

Created On :   19 Jan 2021 3:49 PM IST

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