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सरस्वती नदी के पक्ष में प्रमाणों की कमी नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नीरी के नॉलेज रिसोर्स सेंटर की ओर से आयोजित 11वें बुक रीडिंग सेशन में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. कृष्णा खैरनार ने फ्रांस के लेखक मिचेल डेनिनो की लिखी पुस्तक ‘द लॉस्ट रिवर ऑन द ट्रेल ऑफ सरस्वती’ पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ऋगवेद में सरस्वती नदी का काफी विस्तार से वर्णन किया गया। सरस्वती को पहली देवी नदी का स्थान भी दिया गया है। हालांकि ऋगवेद के बाद यजुर्वेद और सामवेद में उसका वर्णन नहीं मिलता है। इन वेदों में गंगा और यमुना नदी का जिक्र मिलने लगा। इससे समझा जा सकता है कि उस कालखंड में शायद सरस्वती नदी गायब हो गई थी। महाभारत में राजस्थान के विनाश्ना नामक जगह का वर्णन मिलता है, जहां सरस्वती नदी के गायब होने की कहानी प्रचलित है।
पुस्तक में प्रमाण दिए गए
गौरतलब है कि सिंधु घाटी सभ्यता और गंगा घाटी सभ्यता के बीच काफी लंबे समय के बारे में कोई प्रमाण नहीं मिलता है। अब सिंधु घाटी सभ्यता को सिंधु और सरस्वती नदी सभ्यता का नाम दिया जा रहा है। ऋगवेद में सप्त सिंधवा की बात है। इसमें सरस्वती और सिंधु नदी का जिक्र मिलता है। उसे नदियों में सबसे बड़ी और मां के तौर पर सबसे बड़ी मां का नाम दिया गया। नदी सुक्त में नदियों के नाम मिलते हैं, इसमें पूर्व से पश्चिम में नदियों के नाम लिए गए हैं। डॉ. खैरनार के अनुसार इस तरह के कई प्रमाण इस पुस्तक में दिए गए हैं। देश में आध्यात्मिक रूप से अहम स्थान रखने वाली सरस्वती नदी के होने के बारे में कई ऐसे साक्ष्य हैं, जिन्हें नकारा जा सकता है। फ्रांस के लेखक मिचेल डेनिनो ने भारत आकर सरस्वती नदी के बारे में विस्तार से अध्ययन के बाद अंग्रेजी में ‘द लॉस्ट रिवर ऑन द ट्रेल ऑफ सरस्वती’ लिखी। उनकी इस रचना पर उन्हें भारत सरकार की ओर पद्मश्री से नवाजा गया है।
Created On :   15 April 2019 3:28 PM IST