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2015 में कर्ज के चलते अकेले महाराष्ट्र के 1,293 किसानों ने मौत को गले लगाया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सूखे और बाढ़ की समस्या से परेशान देश का किसान पहले कर्ज लेता है और उसके बाद कर्ज नहीं चुका पाने की स्थिति में आत्महत्या करने को मजबूर होता है। सरकार की मानें तो वर्ष 2014 में ऋणग्रस्तता और दिवालियापन के चलते देश के 1,163 किसानों ने आत्महत्या की थी तो वर्ष 2015 में यह संख्या बढ़कर 3,097 हो गई। इसके बावजूद सरकार ने किसानों द्वारा लिए गए फसली ऋण को माफ करने से इंकार किया है।केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के हवाले से मंगलवार को लोकसभा में बताया कि कर्ज के चलते किसान द्वारा की जाने वाली आत्महत्या में महाराष्ट्र टॉप पर है। उन्होने बताया कि वर्ष 2015 में देश के कुल 3,097 किसानों ने कर्ज के जाल में फंसकर अपनी जान गंवाई है। इसमें महाराष्ट्र के सबसे ज्यादा 1,293 किसानों ने आत्महत्या की है। दूसरे नंबर पर कर्नाटक है जहां के 946 किसानों ने कर्ज के चलते अपनी जान दी है। इस दौरान तेलंगाना के 632, आन्ध्रप्रदेश के 154 और मध्यप्रदेश के 13 किसानों ने आत्महत्या की है।
कृषि मंत्री ने बताया कि वर्ष 2014 में कर्ज से दबे 1,163 किसानों ने आत्महत्या की है। इनमें महाराष्ट्र के 857 किसान तो तेलंगाना के 208 किसान शामिल हैं। इस वर्ष कर्नाटक के 51, आन्ध्रप्रदेश के 36 और मध्यप्रदेश के एक किसान के ऋणग्रस्तता के चलते आत्महत्या करने की सूचना है। विशेष यह कि 2016 के बाद कर्ज के जाल में फंसकर आत्महत्या करने वाले किसानों का आंकड़ा सरकार के पास उपलब्ध नहीं है।
Created On :   15 Sept 2020 6:42 PM IST