क्यों नहीं मिला मछुआरों को मुआवजा, तोतलाडोह जलाशय के मछुआरों की एसटी कमीशन उपाध्यक्ष ने की सुनवाई

163 fishermen of Totladoh reservoir have not got compensation
क्यों नहीं मिला मछुआरों को मुआवजा, तोतलाडोह जलाशय के मछुआरों की एसटी कमीशन उपाध्यक्ष ने की सुनवाई
क्यों नहीं मिला मछुआरों को मुआवजा, तोतलाडोह जलाशय के मछुआरों की एसटी कमीशन उपाध्यक्ष ने की सुनवाई

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। तोतलाडोह जलाशय में मछली व्यापार करने वाले मछुआरों की सुनवाई शुक्रवार को एसटी कमीशन उपाध्यक्ष अनुसुईया उईके ने की। इस जलाशय में 308 मछुआरों अपना मछली व्यापार किया करते थे। जिसमें महज 145 परिवारों को ही मुआवजा प्रदान किया गया। जिस पर कमीशन ने कलेक्टर से जबाव मांगा है कि इन मछुआरों को मुआवजा क्यों नहीं दिया गया। इसकी जानकारी कमीशन को उपलब्ध कराएं। 

शुक्रवार को हुई सुनवाई में कमीशन उपाध्यक्ष अनुसुइया उईके ने ये भी आदेश दिए कि जिन मछुआरों को तोतलाडोह जलाशय से हटाया गया। उन मछुआरों को माचागोरा जलाशय में भी शिफ्ट किया जा सकता है। जलाशय का दायरा बड़ा होने से कई परिवार यहां जीवन यापन कर सकते हैं। ऐसे में प्रशासन व्यवस्था बनाए कि इन मछुआरों का जीवन यापन हो सके। इन मछुआरों को परमिट देने की व्यवस्था प्रशासन को करनी चाहिए। 

क्या था पूरा मामला 
तोतलाडोह डेम से हटाए गए मछुआरों ने मुआवजा से लेकर व्यवस्थापन की मांग को लेकर एसटी कमीशन के समक्ष मामला रखा था। जिसकी लंबे समय से कमीशन द्वारा सुनवाई की जा रही। इस मामले में शुक्रवार को पीडि़तों को सुनते हुए कमीशन उपाध्यक्ष ने मामले के तमाम दस्तावेज उपलब्ध कराने के आदेश जारी किए हैं। 

हिदायतों का असर नहीं, सुधरे नहीं हालात
पेंच पुनर्वास की व्यवस्थाओं को बदलने के दावों के बीच यहां आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। बैठकों और प्रशासनिक हिदायतों का भी असर जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों पर नहीं हो रहा। हालत ये है कि फील्ड में जाने की बजाय अधिकारी कागजों में सब बेहतर करने में लगे हैं। नए गांवों में निवास करने वाले लोग आज भी परेशानी में यहां जीवन यापन कर रहे हैं। पेंच पुनर्वास की व्यवस्थाओ को सुधारने के लिए पिछले डेढ़ साल से विधायकों सहित आला प्रशासनिक अधिकारी मशक्कत कर रहे हैं।

दर्जनों बैठकें हो चुकी है। जिसमें यहां सुधार की हिदायत अफसर दे चुके हैं। लेकिन सालों पहले जो समस्या यहां के वाशिंदों को झेलनी पड़ रही थी। उससे आज भी निजाद नहीं मिल पाई है। फील्ड में जाने से कतरा रहे अधिकारी कागजों में सुधार करने में लगे हुए हैं।

 

 

Created On :   28 April 2018 1:06 PM IST

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