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महाराष्ट्र में 17 साल में 26,339 किसानों ने लगाया मौत को गले, विधानसभा में गूंजा मुद्दा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश के समृद्धिशाली राज्यों में से एक महाराष्ट्र में पिछले 17 साल में 26,339 किसानों ने खुदकुशी की है। आत्महत्या करने वाले में 12,805 किसानों को मुआवजा के लिए पात्र पाया गया जबकि 13,526 किसान मुआवजे से वंचित रहे गए। आर्थिक तंगी के चलते अपनी जान देने वाले हजारों किसानों के परिवार आज भी मुआवजे के लिए इंतजार कर रहे है। जबकि मराठवाड़ा में सबसे ज्यादा किसानों ने मौत को गले लगाया है। लेकिन आंकड़ो के मुताबिक 13, 526 पीड़ित परिवारों को ही मुआवजा मिल सका है।
नहीं रुक रही किसानों की आत्महत्या की घटनाएं
विधानसभा में पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी सरकार की तरफ से दी गई है। विधानसभा के करीब 50 सदस्यों द्वारा किसान आत्महत्या को लेकर पूछे गए सवाल के लिखित उत्तर में राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील ने स्वीकार किया कि राज्य में किसान आत्महत्या की घटनाएं रुक नहीं रही हैं। सरकार इन घटनाओं को लेकर चिन्तित है, हालांकि इसे रोकने के लिए सरकार बड़ी योजना भी चला रही है।
कर्ज और सूखा आत्महत्या का कारण
सरकार की जानकारी के अनुसार, सन 2001 से सन 2017 के बीच राज्य में कुल 26,339 किसानों ने आत्महत्या की। उसमें से सूखा, कर्ज और कर्ज वसूली से तंग आकर 12,805 किसानों ने आत्महत्या की। इस साल 1 जनवरी से 15 अगस्त 2017 तक पूरे मराठवाड़ा में 580 और मराठवाड़ा के एक जिले बीड में 115 किसानों ने आत्महत्या की। यानी सिर्फ मराठावाडा में ही 696 किसानों ने आत्महत्या की।
सरकार की ओर से मदद, 26,339 किसानों ने मौत को लगाया गले
आत्महत्या करने वाले किसानों के बच्चों को महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा में गट ब, गट क के नौकरी भर्ती में उम्मीदवारों को समान अंक मिले तो सबसे पहले किसान आत्महत्या करने वाले किसानों के बच्चों को नौकरी में प्राथमिकता दी जाती है। साथ ही सरकार उन्हें एक लाख रुपये देती है।
Created On :   17 Dec 2017 3:52 PM IST