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नागपुर के Aiims में नई तकनीक : अब एक ही जांच में सांस की बीमारी के 22 कारणों की होगी पहचान
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नागपुर में ‘सारी’ नामक बीमारी की जांच के लिए अत्याधुनिक सारी टेस्टिंग किट (बायोफायर फिल्मएरे टॉर्च) लगाई गई है। पूरे महाराष्ट्र में इस तरह की किट अभी केवल नागपुर एम्स में लगाई गई है। इस किट में ‘सारी’ की टेस्टिंग के साथ ही ‘सारी’ बीमारी के लिए जिम्मेदार 22 श्वसन रोगजनकों का भी पता लगाया जा सकता है। इससे एडवांस जांच की जा सकेगी। यहां पूरे विदर्भ से भेजे गए नमूनों की जांच की जाएगी।
सारी’ के मरीजों की जांच में होगी सुगमता
पूरे विदर्भ से भेजे गए सैंपलों की जांच होगी
दिल्ली सहित दूसरे एम्स में भी है यह मशीन
एम्स की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. मीना मिश्रा ने बताया कि बायोफायर फिल्मएरे से शनिवार रात तक 12 सैंपल की जांच हो चुकी है, जिनमें जीएमसी अमरावती, जीएमसी यवतमाल, जीएमसी नागपुर और आइजीएमसी (मेयो) नागपुर के सैंपल जांच हुए हैं। एक टेस्ट में 12000 रुपए का खर्च आता है। महराष्ट्र में यह मशीन पहली बार आई है। इससे पूर्व दिल्ली एम्स सहित दूसरे एम्स में भी है।
अमरावती और नागपुर के विभागीय आयुक्त ने विदर्भ कोविड-19 रिलीफ फंड से की सहायता
मुंबई के मेडिकल एजुकेशन और रिसर्च विभाग ने भी दिया इस प्रयोग के लिए पूरा सहयोग
‘सारी’ बीमारी के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान ज्यादातर केस असिप्टोमेटिक या माइल्ड सिम्प्टोमेटिक हैं। इनमें से 25-30 प्रतिशत मरीज ‘सारी’ (सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस) के हैं। ‘सारी’ एक श्वसन बीमारी है, जो कि अलग-अलग वायरस के साथ मिलकर होती है। इसके लक्षण भी बुखार, खांसी ही हैं।
जांच कोरोना की तरह होती है : बायोफायर फिल्मएरे मशीन में जांच के लिए सैंपल लेने की प्रक्रिया कोविड-19 की तरह ही है। किसी केस में सांस लेने की समस्या होती है, तो उसमें स्वैब, बलगम सहित अन्य सैंपल भी लिए जाते हैं। रिपोर्ट 1 घंटे में मिल जाती है। इस मशीन से ‘सारी’ के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करने और बीमारी का सही कारण
जानने में सहायता मिलेगी।
लैब में कार्य शुरू : एम्स निदेशक के मार्गदर्शन में माइक्रोबायोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. मीना मिश्रा पहले से ही कोविड-19 टेस्टिंग के लिए कार्य कर रही हैं। अब तक 12000 से ज्यादा सैंपल की जांच एम्स की लैब में हो चुकी है।
ऐसे हुआ नागपुर में सफल : इस उपकरण की खरीदी में नागपुर एम्स की निदेशक मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता ने अहम भूमिका निभाई है। नागपुर के विभागीय आयुक्त डॉ. संजीव कुमार और अमरावती के विभागीय आयुक्त पीयूष सिंह ने विदर्भ कोविड-19 रिलिफ फंड से सहायता की है। इसके साथ ही मुंबई के मेडिकल एजुकेशन सेक्रेटरी और मेडिकल एजुकेशन और रिसर्च विभाग के निदेशक डॉ. तात्याराव पी. लाहाने ने ‘सारी’ के केस में साथ काम करने के लिए सहयोग किया है।
Created On :   5 July 2020 5:26 PM IST