5 साल में 24.557 हजार हेक्टेयर सिंचाई वृद्धि, नाग नदी पर सबसे बड़ी जल शुद्धिकरण योजना

5 साल में 24.557 हजार हेक्टेयर सिंचाई वृद्धि, नाग नदी पर सबसे बड़ी जल शुद्धिकरण योजना
विदर्भ की जलसंपदा 5 साल में 24.557 हजार हेक्टेयर सिंचाई वृद्धि, नाग नदी पर सबसे बड़ी जल शुद्धिकरण योजना

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ में सिंचाई का बैकलॉग दूर करने जलसंपदा विभाग ने अधूरे प्रकल्पों को पूरा करने, नए प्रकल्पों का निर्माण व क्षमता बढ़ाने के काम को गति दी है। बीते पांच साल में अकेले नागपुर विभाग में ही 24.557 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता में वृद्धि हुई है। साल 2016-17 में 504.489 हजार हेक्टेयर सिंचाई हुई। साल 2020-21 में बढ़कर 529.046 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई की गई। विभाग में नागपुर, भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर, गड़चिरोली और वर्धा जिले शामिल हैं। कुल 459 सिंचाई प्रकल्पों में से 389 से सिंचाई हो रही है। जिन 70 प्रकल्पों से फिलहाल सिंचाई नहीं हो रही है, उनमें 43 लिफ्ट एरिगेशन प्रोजेक्ट और 27 निर्माणाधीन प्रकल्प हैं। आईएसबीआईजी योजना अंतर्गत  सिंचाई का बैकलॉग दूर करने 121 सिंचाई प्रकल्प प्रस्तावित हैं। इनमें बड़े 7, मध्यम 25 और जिला निहाय 6 क्लस्टर अंतर्गत 89 लघु प्रकल्प शामिल हैं।

नाग नदी पर सबसे बड़ी जल शुद्धिकरण योजना

राष्ट्रीय नदी संवर्धन प्राधिकरण ने नाग नदी प्रदूषण निर्मूलन व पुनर्जीवन योजना काे मंजूरी दे दी है। नाग नदी के साथ ही उसकी संलग्न 17.5 किलोमीटर लंबी पीली नदी और 6 किलोमीटर लंबे बोर नाले को भी प्रदूषणमुक्त किया जाएगा। नाग नदी पुर्नजीवन योजना के लिए अंतिम प्रारूप की प्रस्तावित राशि 2117.56 करोड़ रुपए है। इस योजना और राशि को लेकर कई बार चर्चा और बैठकों के बाद 27 अक्टूबर 2021 को अंतिम मंजूरी मिली है। इसके तहत पहली बार केंद्र सरकार जापान अंतरराष्ट्रीय सहकार एजेंसी (जीका) से कर्ज लेने वाली है। वहीं, 15 फीसदी राशि मनपा द्वारा दी जाएगी। प्रकल्प सलाहकारों की नियुक्ति का काम भी अंतिम चरण में है। 

नदी के दो प्वॉइंट पर दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

राष्ट्रीय नदी संवर्धन प्राधिकरण व अन्य केंद्रीय एजेंसियों ने नागपुर मनपा को नदी स्वच्छ करने की योजना का मॉडल बनाकर दिखाने को कहा था। मनपा ने 2018 में नाग नदी के दो प्वॉइंट पर दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तैयार कर मॉडल दिखाए। पहला प्लांट मानकापुर और दूसरा प्लांट मोक्षधाम के पास तैयार किया गया। दोनों स्थानों पर 5-5 एमएलडी के एसटीपी बने हैं। एसटीपी से पानी स्वच्छ होने पर बी वर्ग का हो जाता है। 90 फीसदी तक स्वच्छ होने से भले ही यह पीने के लिए नहीं लेकिन नहाने, कपड़े धोने व दूसरे अन्य कामों के लिए उपयोग में लिया जा सकता है। नई योजना में तीन एसटीपी बनाए जाएंगे। पहला वीएनआईटी कैंपस में 12 एमएलडी, दूसरा मोर भवन परिसर में 35 एमएलडी और तीसरा पीली नदी किनारे नारा घाट के पास 45 एमएलडी का होगा। तीनों मिलाकर 92 एमएलडी पानी शुद्ध कर वापिस नदी में छोड़ा जाएगा। पुराने एसटीपी मिलाकर नदी का 102 एमएलडी पानी प्रतिदिन शुद्ध होगा। नदी को प्राकृतिक सौंदर्य दिया जाएगा। 
 

Created On :   9 Dec 2021 5:59 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story